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________________ की स्थिति में ज्ञाता और ज्ञेय का द्वैत समाप्त हो जाता है। गीता में आध्यात्मिक ज्ञान को ज्यादा महत्व दिया गया है- गीता में कहा गया है- 'जो ज्ञाता है अर्थात् ज्ञानवान है वह हमारे सभी भक्तों में श्रेष्ठ है' इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला कुछ भी नहीं है। गीता में भक्ति मार्ग का भी महत्वपूर्ण स्थान है। मोक्ष प्राप्ति के लिये भक्तियोग को अपनाया गया है। यह मार्ग अमीर-गरीब, ऊँचे-नीचे सभी लोगों के लिये सुलभ मार्ग है। इस मार्ग का सम्बन्ध व्यक्ति के संवेगात्मक और भावात्मक पक्ष से होता है। भक्ति के अन्तर्गत व्यक्ति का ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पण होता है। भक्तिमार्ग को अपनाने के लिये ईश्वर के सगुण रूप की परिकल्पना अनिवार्य है। क्योंकि निर्गुण का ईश्वर भक्ति के लिये उपयुक्त नहीं होता है। गीता के १८वें अध्याय में भक्तियोग का वर्णन किया गया है भगवान कहते हैं कि 'सभी धर्मों को छोड़कर तू मेरे ही शरण में आओं मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूंगा, तू शोक मतकर।' सर्वधर्मान् परित्यज्य मामेकं शरणं ब्रज। अहं त्वां सर्व पापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः।। (गीता- १८/६६) श्री रामानुजाचार्य भगवत्प्राप्ति रूप लक्ष्य के लिये भक्ति को ही सर्वश्रेष्ठ बतलाते हैं उनके मत में गीता का सारांश ज्ञान दृष्टि से विशिष्टाद्वैत तथा आचारदृष्टि से वासुदेव भक्ति ही है। वे भी कर्मसन्यास के ही समर्थक माने जा सकते हैं क्योंकि कर्म आचरण से चित्तशुद्धि के सम्पन्न हो जाने पर प्रेमपूर्वक वासुदेवभक्ति में तत्पर रहने से सांसारिक कर्म का निष्पादन संभव नहीं होता है। 164
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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