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________________ মুঘলন छप्प छन्दः .. पहले भवन मील 'दुतिय अलिकेतु सेठघर। तीजै सुर सौधर्म ‘चौम चिन्ता गतिनभचर । ५ चम चौथे स्वर्ग' छटै अपराजित राजा । अच्चत इन्द्र सातवें 'अमर बुल तिलक विराजा । मप्र तिष्टराय आठम न ' जन्म नबन्त विमान धर। फिर अये नमि हरिवंश शशि 'ये दश भव मुधि करहुनर ८५॥ शब्दार्थ टीका (भील) जातिविशेष ( अभिकेत ) नाम ( बोधम ) पहले.वर्गकानाम [चौम चौथे (चिन्तागति ) नाम विद्याधर ( नभचर ) आकाशगामी (अमर) देवता (तिलक ) शिरोमणि ( समतष्ट ) नामराजा (जयन्स) एक विमान का नाम (पशि) चन्द्रमा । - सरलार्थ टौका . १ धनमें मील हुये २ अभिकेतु नाम हुये जो पेठ के घर में पैदा हुये ३ सौधम्म नाम खर्गमें देवता हुये ४ चिन्तागति नाम आकाश गामी वियाधर भये ५ चौथे वर्गमें देवता हुये ह अपराजित नाम राजा हुये ७ अग्युत स्वर्ग में इन्द्र होकर देवताकुक्ष में शिरोमणि हुये ८ सुप्रतिष्ठनाम, गला हुये ८ जयन्त बिमानधारी इये १० हरिवंश कुल के चन्द्रमा श्री. नेमिनाथ स्वामी तीर्थ पर हुये ये दश जन्म हे नर विचारले । ।
SR No.010174
Book TitleBhudhar Jain Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhudhardas Kavi
PublisherBhudhardas Kavi
Publication Year
Total Pages129
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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