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________________ पंचम खण्ड : परिशिष्टाध्याय __७२५ साधकार ) १-१ गो वटी रात में सोते भॉग में--तुलसी मंजरी। वरटी-शृंग दंश में--अमोनियम् फोर्ट का लगाना, किरोसिन तेल का लेपः। उच्च रक्तनिपीड ( Hypertension)-( Hypertension with Albuminurea ) १. रसराज ( वातरोगाधिकार ) १-१ गोली प्रात.-साय दूध से । चंद्रप्रभा वटी रात में सोते वक्त २ गोली गाय के दूध से । साथ मे निम्नलिखित द्रव्यो से निर्मित कपाय दिन में दो वार । जटामासी, पुनर्नवा, गोखरू, वेल की छाल, सोठ, गुदूची, हरीतकी, एरण्ड मूल, वासा, पीपरि, पीपरामूल, वायविडङ्ग, पोहकरमूल, जपापुष्प, सेमल का फूल, अनार का फूल, नीलोफर, मधुयष्टि, आंवला, खस, हल्दी, दारुहल्दी, चन्दन,, शालपर्णी, पश्निपर्णी, शतावरी तथा बृहती। [ कविराज विश्वनाथ उपाध्याय दुमका के सौजन्य से प्राप्त ] अनिद्रा-१ आमलकी और निशोथ चूर्ण समभाग मिश्र । मात्रा ३ माशा भैस के दूध से प्रातः । । २. जटामासी, पीपरामूल, शंखपुष्पी समभाग मे मिश्र चूर्ण ३ माशा रात में सोते वक्त भैस के दूध से । । अपस्मार, मूर्छा-उष्ट्री या गर्दभी क्षीर का सेवन उत्तम रहता है। आमवात में अन्य उपचारो के साथ मद्य का प्रयोग भी उत्तम मिला है। माषादि मोदक-छिल्के रहित उड़द का चूर्ण, जौ का आटा, चावल का आटा, गेहूँ का आटा तथा पिप्पली चूर्ण । बराबर मात्रा मे लेकर गाय के घी मे भूनकर रख ले । पश्चात् सव चूर्ण के वरावर मिश्री लेकर उसमे दुगुना जल डालकर आग पर चढाकर फिर उतार कर १-२ तोले का लड्डू बना ले । प्रातः; साय एक एक लड्डू जल या दूध से । यह एक सस्ता एवं उत्तम बाजीकर है। अधोग रक्तपित्त-मूत्रमार्ग से रक्त जाता हो तो शतावरी १ तोला, गोखरू बीज १ तोला, दूध १६ तोला और पानी ३२ तोला मिलाकर खोलाकर दूध मात्र शेष रहे तो उतार कर पिलावे । इसी प्रकार मलमार्ग से रक्त निकल रहा हो तो मोचरस से सिद्ध दूध पिलावे। ये दोनो चरक के योग हैं और हष्टफल है। रक्तशोधक कपाय-गिलोय, गोरखमुण्डी, अनन्तमूल, चिरायता, चोपचीनी, पोहकर मूल, रास्ना, जवासा मूल, अर्जुन, उसवा, हरे, वहेरा, आँवला, मुनक्का । इन द्रव्यो का कषाय सभी प्रकार की रक्तदुष्टि मे लाभप्रद पाये गये हैं।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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