SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 771
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पंचम खण्ड : परिशिष्टाध्याय ७२१ ४. दायोदि कषाय-दारुहल्दी, रसोत, अडूसे की छाल, नागरमोथा, चिरायता, बेलगिरी, शुद्ध भल्लातक, रक्त चन्दन, नील कमल । इसका यथाविधि वना क्वाथ सभी प्रकार के प्रदर रोग मे लाभप्रद है। कठिन प्रदर के रोगियो मे इसका उपयोग अवश्य लाभप्रद होता है। ५ पुण्यानुग चूर्ण-पाठा, जामुन तथा आम के बीज की गिरी, पाषाणभेद, रसोत, अम्बष्ठा, मोचरस, लज्जालु, मजीठ, कमलकेशर, नागकेशर या केसर, अतीस, मोथा, विल्वफल मज्जा, पठानीलोध, सुवर्ण गैरिक, कायफल, काली मिरच, सोठ, मुनक्का, लाल चन्दन, सोनापाठा और कुडे की छाल, अनन्तमूल, धाय के फूल, मुलठी तथा अर्जुन की छाल । इन सब औषधियो को बराबर मात्रा मे पुष्यनक्षत्र मे लेकर इकट्ठी कर लेवे। पुन. पुष्य नक्षत्र मे ही इस चर्ण योग को बनावे । मात्रा ३-६ माशे । अनुपान चावल का पानी । सभी प्रकार के योनिव्यापद एव प्रदर मे लाभप्रद । ६. अशोकारिष्ट-अशोक की छाल ५ सेर, लोध २॥ सेर ले । जौ-कुट करके ४०९६ तोले जल मे पकावे जव चतुर्थांश शेष रहे तब कपडे से छानकर उसमे चीनी ५ सेर, शहद २॥ सेर, जौकुट की हुई मुनक्का १ सेर, धाय के फूल ६४ तोले । जीरा, नागरमोथा सोठ, दारुहल्दी, कमल, हरें, बहेडा, आंवला, आम की गुठली, केशर, अडूसा, श्वेत चन्दन, रसौत, पतग, खैर का बुरादा, बेल, सेमल का फूल या मोचरस, बरियरा का मूल, भिलावा, अनन्तमूल, गुडहुल के फल, दालचीनी, बड़ी इलायची और लवङ्ग प्रत्येक ४-४ तोला कपडछान चूर्ण डालकर किसी मिट्टी के बडे पात्र में या सागोन की लकडी के पीपे मे भरकर मह बन्द करके एक मास तक रख दे। एक मास पश्चात् छानकर शीशियो मे भर कर रख ले । मात्रा भोजन के बाद २-४ तोला बरावर पानी मिलाकर सेवन करे । 'स्त्रियो के सभी गर्भाशयसम्बन्धी रोगो मे लाभप्रद । ७. फल घृत द्रव्य तथा निर्माण विधि-मजीठ, मुलैठी, कंठ, हरड, बहेरा, आंवला, चीनी, बच, अजमोद, हल्दी, दारुहल्दी, घी मे सिंकी हुई होग, कुटकी, कमल, चन्दन, मुनक्का, पद्माख, देवदार, मेदा, ' महामेदा, बिदारीकन्द, काकोली, असगन्ध, छोटी पीपल, चमेली के फूल, वंशलोचन, बायविडंग, कमल, वरियरा के मूल, कायफल, अनन्त मूल, नागरमोथा, गोखरू, छोटी' कटेरी और १. दार्वीरसाञ्जनकिरातवृषाब्दविल्वभल्लातकैरवकृतो मधुना कषायः । पीतो जयत्यतिबलं प्रदरं सशूल पीतासितारुणविलोहितनीलशुक्लम् ॥ कलित।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy