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________________ ७१४ सिषकम-सिद्धि दूध, भृगराज, मलिहारी, वत्सनाभ, गुजा की जड, इन्द्रायण मूल, सफेद सरमो । इनको समभाग मे लेकर कल्क १ पाव, सरमो का तेल १ सेर, बकरी का मूत्र, गोमूत्र प्रत्येक २ सेर । मद यांच पर तैल का पाक करे । अस्यगार्थ उपयोग करे। नापितकण्डु ( Barbers Ittch )-१. उदुम्बर सार का लेप । २ दशाङ्ग लेप का लगाना। ३. हरताल, मैनगिल, मुर्दागख, शुद्ध टंकण बरावर भाग मे लेकर महीन पीसकर वेसलीन मे मल्हम जैसा बनाकर लगाना । पलित रोग-( अकाल में केगो का सफेद होना )-केशरजन के लिये कई लेप तथा तेल ( नीलिनी, महानील तैल ) आदि योग है। सर्वोत्तम योग निम्नलिखित है और दृष्टफल है। इनका नाक से नस्य के रूप मे तथा पीने के लिये दोनो तरह से उपयोग होना चाहिये । प्रयोग काल मे व्यक्ति को गाय के दूध और भात पर रहना आवश्यक है। इन द्रव्यो का उल्लेख रसायनाधिकार मे हो चुका है। यहीं दूसरे ग्रंथ से उद्धरण प्रस्तुत किया जा रहा है। विभीतक, निम्ब, गम्भारी, हरीतकी, गाखोटक (सिहोर), लाल गुजा इनमें किसी एक के बीज से निर्मित तैल का नस्य द्वारा प्रयोग करने से निश्चित सफेद बाल काले हो जाते है ।' शय्यामूत्र-१ विम्बी के मूल का रस १ तोले की मात्रा में एक सप्ताह तक करने से मोने में पेगाव करने की बीमारी दूर हो जाती है । २ महिफेन का अल्प माना में प्रयोग रत्ती से ३ रत्ती तक रात में सोते वक्त देने से भी लाभ होता है । ३. जिमको शय्या मे निद्रा के समय मूत्रत्राव होता है उसके विस्तर के भीतर पीली मिट्टी का ढेला रखे । जव मूत्र से आर्द्र हो जावे तो उसको चूर करके तवा पर भून ले। इसको पुन १-३ माशे की मात्रा में घी और शहद के अनुपान से चटावे तो बादत छट जाती है। ४ कमलगट्टा का चूर्ण १-२ मा० मधु से चटावे । लोमशानन (केश गिराने के उपाय )-१ कुसुम्भ तेल (वरे का तेल) पा अन्धग कशो को गिराता है। २. शस भस्म को एक सप्ताह तक केले को रन में भावित कर सूखा ले। पश्चात उममे उतनी ही मात्रा में हरताल मिलाकर रख ले। इनी में थोटा कली का चूना मिलाकर रख ले । इस चूर्ण के लेप से कैग गिर जाते है। १ विनीतनिम्बगाम्मारी शिवा शेलुश्च काकिनी। एकतलनस्येन पलितं नश्यति ध्रुवम् ॥ (गा में )
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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