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________________ पंचम खण्ड : परिशष्टाध्याय ७११ उदुम्बर सार-दस सेर हरी पुष्ट गूलर की पत्ती धोकर साफ कर ले । फिर इसको साफ किये ओखल में डालकर मूसल से कूट ले। फिर उसमे १ मन जल डालकर कलईदार वर्तन मे रखकर आग पर चढाकर मंद आंच पर पकावे । जब चौथाई जल शेप रहे तो उतार कर अच्छे कपडे से दो बार छानकर उसमे ५ तोला सुहागा मिलाकर पुन आग पर चढाकर मद आंच पर पकावे । जब यह करछे में लगने लगे तो नीचे उतार कर कलईदार थालो मे फैलावे। इसके ऊपर एक कपडा बांध कर धूप मे सुखा ले। जब लेह जैसा हो जावे तो काच के बरतन मे भर कर रख ले। गुण एवं उपयोग-उदुम्बरसार अणशोथ शामक, ब्रण का शोधक, रोपक तथा रक्तस्रावनिरोधी है। इसका उपयोग नणशोथ-शमन मे स्त्रियो के स्तनविद्रधि मे, व्रण के प्रक्षालन मे, मुख पाक मे, कुल्ली के लिये, स्त्रियो के प्रदर, श्वेत प्रदर, योनिमार्ग दे. क्षत मे उत्तरवस्ति के लिये होता है। उदुम्बर सार को उदलते हुए जल में छोडकर विलयन बनाकर प्रयोग में लाना चाहिये। रक्तार्श, रक्तप्रदर प्रभृति रोगो मे ३-६ माशे की मात्रा में अठगुने जल मे मिलाकर दिन मे तीन चार बार पीने को देने से भी उत्तम लाभ होता है। अग्निदग्ध व्रणलेप-मोम, मुलैठी, लोध, राल, मजीठ, श्वेत चन्दन, मूर्वा प्रत्येक ४-४ तोला और गाय का घो ६४ तोला ले । प्रथम मुलैठी, लोध, राल, मजीठ, चन्दन, मूर्वा का चूर्ण करे । उसमे मोम और घी मिला कर ३ सेर पानी डालकर घो को आग पर पका ले । पश्चात् छानकर शीशी मे रख ले। सभी प्रकार के अग्नि से जले स्थान पर लगावे । (सु० सू० १३) भग्न ( Fractures)-अस्थिभग्न के रोगियोमे खाने के लिये मास, मासरस ( अस्थि का शोरवा), लहसुन, घृत, दूध, मटर की दाल तथा अन्य बलवर्धक आहार देना चाहिये । प्रथम प्रसूता गाय का दूध, मधुरौषधि गण की ओषधियाँ, घृत और लाक्षा चूर्ण का प्रयोग करना चाहिये । / अस्थिसंहारादि चूर्ण-हरजोड का चूर्ण, लाक्षाचूर्ण, गोधूम चूर्ण ( आटा), अर्जुन की छाल का चूर्ण सम भाग मे लेकर मिश्रित करे। इसे घी और चीनी के साथ मिलाकर १ तोले की मात्रा मे ले और ऊपर से दूध पिये। इसके उपयोग से भग्न का सधान शीघ्रता से होता है। अस्थिसहारक का बाह्य तथा आभ्यंतर प्रयोग अकेले ही अस्थिसयोजन मे उत्तम कार्य करता है। इस का सेवन घृत के साथ या दूध के साथ करना चाहिये । क्योकि इस मे सूरण जैसे मुख और गले मे क्षोभ पैदा करने का दुर्गुण है । स्वरस को घृतं और शकर या दूध मे
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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