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________________ चतुर्थ खण्ड : तैतालीसवाँ अध्याय ७०३ मास या दो मास तक केवल गाय के दूध और भात पर रखना चाहिये। निम्ब तेल का उपयोग बहुश दृष्टफल है । आश्चर्यजनक लाभ होता है।' इस प्रकार संक्षेपत. उन रसायन ओषधियो का, जो सुलभ है एवं जिनका प्राप्त करना तथा व्यवहार करना एक साधारण व्यक्ति के लिये भी शक्य है, उनका भात्यान इस अध्याय में किया गया है। आज के औद्योगिक युग में रसायनो का सेवन एक दुष्कर कार्य हो गया है। अस्तु, युगानुरूप सरल एवं सुगम रसायनो का वर्णन करना अपना लक्ष्य रहा है । इस अध्याय मे कथित ओपधियो के अतिरिक्त महाफलवान् दूसरे वहुत से रसायनो का पाठ सहिताओ में प्राप्त होता है जिनका नामोल्लेख भर करके उनकी ओर इगित मात्र ही किया गया है, क्योकि वे ओपधियां सर्वजनसुलभ नहीं है-उनका प्राप्त करना शक्य नही है, मस्तु उनका मविस्तर वर्णन नहीं दिया जा सका है। ऐसी बहुत सी महान् गुणो से युक्त महाफल देने वाली रमायन ओपधियाँ और भी है, जिनका वर्णन इस अध्याय में नहीं हो सका है। उक्तानि शक्यानि फलान्वितानि युगानुरूपाणि रसायनानि । महानुशंसान्यपि चापराणि प्राप्त्यादिकष्टानि न कीर्तितानि ।। (अ. ह र ) इति १ एरण्डतैलमथ निम्बफलास्थितैलमेतद्रसायनमनामयकायकारि । Tamane ज्योतिष्मतीफलपलाशफलोद्भव वा तैल वलीपलितहारि भिपकप्रदिष्टम् ॥ (यो र ) निम्बस्य तेल प्रकृतिस्थमेव नस्तो निपिक्त विधिना यथावत् । मासेन गोक्षीरभुजो नरस्य जराग्नदूत पलित निहन्ति ।। (भै र.)
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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