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________________ चतुर्थ खण्ड : बयालीसवॉ अध्याय ६७१ में वटिकाओ को डुबो दे । एक दो घण्टे बाद इन वटिकावो को निकालकर एक मृतवान या कांच के वर्तन मे शहद भरकर उसमे इन गुटिकावो को डुबो कर रख दे। एक बडा सुबह और शाम दूध के अनुपान से ले यह एक उत्कृष्ट वाजीकरण योग है, क्लव्य, ध्वजभग, वीर्यपतन आदि विकारो को ठीक करता है। श्री मदनानन्द मोदक-शुद्ध पारद, शुद्ध गधक, लौह भस्म १-१ तोला, अभ्रक ३ तोले, भीमसेनी कपूर, सैधव, जटामासी, आँवला, छोटी इलायची, सोठ, मरिच, छोटी पीपल, जावित्रो, जायफल, तेजपत्र, लवङ्ग, श्वेत जीरा, काला जीरा मुलंठो, वच, कूठ, हरिद्रा, देवदारु, हिज्जल बीज, शुद्ध टकण, भारगी, सोठ, नागकेसर, काकडासोगी, तालीसपत्र, मुनक्का, चित्रक, दन्ती, बला-अतिबला की जडे पृथक, दालचीनी, धनिया, गजपीपल, कचूर, नेत्रवाला, नागरमोथा, गंधप्रसारणी' विदारीकंद, शतावर, आक को जड, केंवाछ के बीज, गोखरू के वीज, विधारा के बोज तथा भाग के बीज प्रत्येक १-१ तोला । प्रथम पारद-गधक की कज्जली करे फिर लौह भस्म एव अभ्रक भस्म को मिलावे फिर शतावरी क्वाथ की भावना देकर सुखा ले पीछे शेष द्रव्यो के कपडछान चूर्णों को मिलावे । फिर समस्त चूर्ण मे चौथाई प्रमाण मे सेमल को मुसली का चूर्ण तथा उस मिश्रित चूर्ण से आधा 'विजया का चूर्ण डालकर बकरी के दूध से भावित कर एक दिनतक खाल करके सुखा ले। पश्चात् सम्पूण चूर्ण से दुगुनी खाड को उससे चौगुने दूध मे डालकर 'पाक करे । गाढा होवे पर दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात, नागकेसर, भीमसेनी कपर, सेधानमक तथा त्रिकटु का मिश्रित चूर्ण २ तोला मिलाकर चलाता रहे। फिर उसमे यथावश्यक घी और मधु डालकर आलोडित करके चार-चार माशे का मोदक बना ले। फिर इस योग को मत्र से अभिमत्रित करके सुवर्ण, रजत, काच या मतवान में रख देवे। मात्रा--१-१ मोदक सायकाल में रुद्राक्ष चूर्ण १ माशा, काली तिल ३ ‘माशा और गोघृत १ तोले के साथ खाकर ऊपर से दूध पीना । गण-तीन सप्ताह के सेवन से हो पर्याप्त काम शक्ति बढती है। यह एक श्रेष्ठ वष्य एव वाजीकर योग है। महाचंदनादि तैल-मूच्छित तिल तैल १ सेर, कल्कार्थ श्वेत चन्दन, लाल चन्दन, पतग, अगर, तगर, देवदारु, सरल वृक्ष, पदमाख, तून की लकडी, कपूर, कस्तूरी, लता कस्तूरी, शिलारस, केसर, जायफल, चमेली की पत्तो, लोग, छोटी इलायची, बडी इलायची, दालचीनी, मुरा, कपूर, छलछरीला, नागरमोया रेणका, प्रियगु, गधा विरोजा, गुग्गुलु, लाख, नखी, राल, धाय के फूल, गठिवन, मजीठ, मोम प्रत्येक ३-३ माशे सम्यक् पाकार्थ जल ४ सेर ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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