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________________ ___ चतुर्थं खण्ड : अड़तीसवाँ अध्याय ६१३ साध्यासाध्यता-श्लीपद एक कृच्छ साध्य रोग है, नया रोग जो एक वर्ष कम का हो ठोक हो जाता है । पुराना रोग, जो एक वर्ष से अधिक समय का हो, अथवा जिसमे सूजन अत्यधिक कडो हो गई हो और अंग अतिशय मोटा पड गया हो, अथवा सूजन मे वल्मीक के समान उभार या गाँठे पड गई हो प्राय असाध्य हो जाते है। क्रिया क्रम-श्लीपद रोग की चिकित्सा मे लंघन, वमन, आलेपन, स्वेद, रेचन, शोणितमोक्षण ( रक्कावसेचन) तथा कफघ्न अन्य उपचारो की आवश्यकता पडती है।' लंघन-श्लोपद कफज व्याधि होती है फलत उपवास या लघु भोजन करना श्रेष्ट रहता है । उपवास की विशेष विधि वैद्य-परम्परावो मे इस रोग मे बरती जाती है । जब रोग के आक्रमण का काल हो तब तो रोगी को पूर्ण लघन करना ही चाहिये, परन्तु आक्रमण के अनन्तर या अवान्तर काल मे उपवास कुछ विशेष तिथियो पर ही करना चाहिये । इन तिथियो में महत्त्व की-मास की दोनो एकादशी, अमावास्या, पूर्णिमा तथा दोनो प्रतिपद एव दोनो अष्टमी तिथिया है। ऐसा देखा जाता है कि इन तिथियो मे कफाधिक्य प्रकृति मे पाया जाता है । अस्तु, रोग के दौरा होने की भी सभावना भी इन तिथियो मे अधिक रहती है। अमावास्या अथवा पूर्णिमा की तिथियो के समीप की तिथियो मे रोग का दौरा होना प्राय पाया जाता है। अस्तु, एकादशी, अमावस्या और पणिमा तिथियो का ध्यान रखते हुए रोगी को उपवास कराने से रोग के दौरे से रोगी को बचाया जा सकता है। यदि व्यक्ति पूर्णतया उपवास न कर सके तो दिन मे एक बार भोजन करे, रात्रि मे विलकुल भोजन न करे, भोजन मे चावल, दही आदि का सेवन न कर के हल्का भोजन- दूध, फल या शाक पर रहे। पूर्णिमा के दिन चद्रमा पूर्ण रूप से उदय लेते है-समुद्र मे जल का वेग प्रवल होता है, ज्वार का वेग रहता है, सभवत इसका प्रभाव सम्पूर्ण प्रकृति पर होकर कफाधिक्य स्वभावतः पाया जाता है फलत कफवर्धक उपक्रम आहारादि का सेवन रोगी के लिए प्रतिकूल पडता है । इस रोगी की एक विशेषता रात्रि के सम्बन्ध का होता है-रोग का दौरा सायकाल के पश्चात् रात्रि में प्राय होता है--क्योकि दिन की अपेक्षा रात्रि मे कफ की अधिकता प्राय पाई जाती है, रात्रि के कफाधिक्य से बचने के लिए रोगी को अधिक रात्रि मे भोजन न देना ( Late night's १ लघनालेपनस्वेदरेचन रक्तसेचन । प्राय श्लेष्मरुष्ण श्लीपदं समुपाचरेत् ।। प्रच्छर्दन लघनमस्रमोक्ष स्वेदो विरेक परिलेपनञ्च ॥ (भै र.)
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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