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________________ ६०६ भिपकम - सिद्धि वातिकशोथ में दशमूल क्वाथ का सेवन या विवन्ध होने पर दूध में एरण्डतैल छोडकर पिलाना उत्तम रहता है । पैत्तिक शोथ में दूव का उपयोग उत्तम रहता है, त्रिवृत्, गुडूची एवं त्रिफला का सेवन उचित रहता है, शीतल उपचार अनुकूल पडते है | श्लैष्मिक नोथ मे उष्ण एव रूक्षोपचार विशेषत. पटोल, त्रिफला, निम्व, दारूहल्दी और गुग्गुलु का सेवन उत्तम रहता है । त्रिदोषज गोथ मे मिश्र उपक्रमों को वरतना चाहिए। रोगी को भोजन दूध के साथ देना चाहिए और ओवियो मे अदरक, मोठ, शिलाजीत या त्रिफला का प्रयोग करना चाहिए । पथ्यापथ्य - शोथ के उत्पादक कारणों का परित्याग करना चाहिये । एतदर्थ उउद, गेहें, नया अन्न, आनूपदेशज पशु-पक्षियों के मास, गुड, दधि प्रभूति गुरु पदार्थो का सेवन नही करना चाहिये । शोध रोग में अधिक जल का पीना या नमक का सेवन भी अनुकूल नही पडता है । अस्तु, इनका भी परिहार रोगी के लिये आवश्यक होता है । कई उष्ण एव तीक्ष्ण द्रव्य जैसे - मद्य का सेवन, गर्म मसाले या सटाई का सेवन, मिट्टी का खाना, तैल एव सृखे लाल मिर्च का सेवन इसी प्रकार सूखे मास या शाक, दिवास्त्राप ( दिन का सोना ) तथा भी शोध रोगीको अनुकूल नही पडता है । विरुद्व आहार, दाहकारक भोजन, वेगावरोध, मैथुन भी शोथरोगी को प्रतिकूल पडता है । अस्तु, रोगी को पूर्ण विश्राम के साथ रखना चाहिये । परिश्रम मे शोथ वढता है और विश्राम करने से शमन होता है । भोजन में हल्के एव सुपाच्य आहार की व्यवस्था करनी चाहिये । सव से उत्तम आहार गर्म करके ठंडा किया दूध रहता है | जब तक शोथ अधिक हो रोगी को दूध के अतिरिक्त कुछ भी न दे । भूक लगे तो दूब, प्यास लगे तब भी दूध ही देना चाहिये । लवण एव जल का पूर्णतया निपेध रखना चाहिये । यदि तृपा की अधिकता हो तो सोफ, काकमाची, पुनर्नवा या जेवायन का अर्क पीने को देना चाहिये । नारियल का जल या डाव का पानी भी ठीक रहता है । जव शोफ का शमन हो जावे तो रोगी को दूध के साथ हल्का भोजन देना चाहिये । जन को खोलकर ठंडा करके या पुनर्नवा मे शृत कर के देना चाहिये, भोजन मे पुराना चावल, जो, कुल्थी, मूग, मट्टा, शहद, आमव सेम की फली, करेला, गहजन, परवल, खेखया, गाजर, मानकेंद, बेगन, मृली, पुनर्नवा, नीम आदि द्रव्यों का सेवन उत्तम है। मांसाहारी व्यक्तियों में प्रारभ में ही दूध के साथ या वाद में भोजन के साथ मासरसो का उपयोग शोथ रोग में उत्तम रहता है | इसके लिये हल्के मासरम अर्थात् जागल पशु पक्षियों के मामरन जैसे- गोह, नेह, तीतर, मुर्गा, बटेर, छोटी जाति की मछत्री या कच्छप मानरम या जाङ्गल पशु पक्षियों के मामरन दिये जा सरते हैं ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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