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________________ ५७६ भिषकर्म-सिद्धि शिवागुटिका-उत्तम शुद्ध शिलाजीत १ सेर ले। इसे त्रिफला के क्वाथ मे आप्लुत करके रात भर रहने दे। दूसरे दिन खरल को धूप में रखकर घोटे इस प्रकार तीन भावना दे। इसी प्रकार दगमूल, गिलोय, वला, पटोलपत्र और मधुयष्टि के स्वरस या कपाय मे यथालाभ भावना दे । प्रत्येक से तीन तीन वार भावना पश्चात् गोदुग्व की भावना देकर सुखाकर रख ले । पश्चात् काकोली, क्षीरकाकोली, मेदा, महामेवा, विदारी, क्षीरविदारी, शतावर, द्राक्षा, ऋद्धि, वृद्धि, जीवक,ऋपभक, जटामासी, गोरखमुण्डी, श्वेत जोरक, कृष्ण जीरक, शालपर्णी, पृग्निपर्णी, रास्ना, पुष्करमूल, चित्रकमूल दन्तीमूल, गजपीपल, इन्द्र जौ, चव्य, नागरमोथा, कुटको, शृङ्गो और पाठा इनमे प्रत्येक औपधि को ४-४ तोले लेकर । पोडग गुण जल मे चतुर्थांगावशिष्ट क्वाथ बनाये। इस क्वाथ से पूर्वोक्त शिलाजीत की सात भावना देकर सुखा ले। इस प्रकार से वने शिलाजीत में अब निम्नलिखित द्रव्यो का महीन चूर्ण मिलावे--सोठ, पिप्पली, कुटको, काकडासीगी और काली मरिच का चूर्ण ८-८ तोले, विदारी कद का चूर्ण ४ तोला, तालीशपत्र का चूर्ण १६ तोला, मिश्री ६४ तोले, गोघृत १६ तोले, गहद ३२ तोले, तिल तैल ८ तोले एवं वंशलोचन, तेजणत, दालचीनी, नागकेगर और छोटी इलायची प्रत्येक २ तोले । मव द्रव्यों को अच्छी प्रकार से मिलाकर १-२ माशे की गोलियां बना ले। मात्रा १-२ मागा दिन में दो बार । अनुपान दूध, मासरस, अनार का रस, सुरा, मानव, गद या केवल गीतल जल मे घोलकर सेवन । यह एक परमोत्तम रसायन योग है। इसके सेवन से सम्पूर्ण रोगो का नाश हो, नव-यौवन की प्राठि होती हैं । मधुमेह रोग मे यह अमृत तुल्य मोपधि है। लोध्रासव-लोध, कचूर, पुष्कर मूल, छोटी इलायची, मर्वा, वायविडङ्ग, त्रिफला, अजवायन, चव्य, प्रियगु का फूल, सुपारी, विशाला (१), चिरायता, कुटकी, भारङ्गी, नत, चीता, पिप्पलीमूल, कूठ, अतीस, पाठा, इन्द्रयव, नागकेगर, नख, तेजपात, काली मिर्च, प्लव-प्रत्येक एक-एक कप लेकर १२ सेर १२ छटांक ४ तोले जल मे उबाल कर चतुर्यागावशिष्ट क्वाथ बनावे। इस क्वाथ मे आधा मधु मिलाकर एक घृतलिप्त भाण्ड में मुख वद कर एक पक्ष तक संधान करे । पश्चात् छानकर बोतलो में भर कर रख ले और गोपवि स्प मे उपयोग में लावे। सेवनविधि २ तोला समान जल मिला कर भोजन के बाद । शारिवाचालव-कृष्ण सारिवा, नागरमोथा, लोध, वट की छाल, पीपर की छाल, कचूर, अनन्तमूल, पद्माख, नेत्रवाला, पाठा, बावला, गिलोय, खस, श्वेत चंदन, रक्त पदन, बजवायन, कुटकी, तेजपात, छोटी इलायची, बडी इला पात, छोटो भावला, गिलोय, पीपर
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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