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________________ चतुर्थ खण्ड: सत्ताईसवाँ अध्याय ५०१ भेपज - १. शिलाजीत ( शुद्ध ) २ गुग्गुलु ( शुद्ध ) अथवा ३ पिप्पली चूर्ण में से किसी एक का प्रयोग १ से २ माशा की मात्रा में दिन से तीन बार । अनुपान दशमूल क्वाथ तथा गोमूत्र । ४. त्रिफला चूर्ण और कुटकी चूर्ण मिलाकर ६ माशे की मात्रा मे मधु से लेना । ५ पधरण या पटूचरण योग - ( चित्रक, इन्द्रजी, पाठा, कुटकी, अतीस, हरें ) इन द्रव्यो को सम प्रमाण मे लेकर वनाया योग षड्धरण योग कहलाता है । इसका वर्णन वातरोगाध्याय में भी हो चुका है । इसका उपयोग महावात रोगो मे लाभप्रद बतलाया गया है । ऊरुस्तम्भ मे भी हितकर होता है । : गण्डीरारिष्ट' ७ पुनर्नवादि कषाय - पुनर्नवा मूल, सोठ, देवदारु, हरीतकी, शुद्ध भल्लतिक, गुडूची । इन द्रव्यो का समभाग में लेकर तथा दशमूल की सभी पधियो को बराबर मात्रा में लेकर कपाय बना कर पीने से ऊरुस्तम्भ मे लाभ होता है । गुंजाभद्र रस - शुद्ध पारद १ तोला, शुद्ध गधक ४ तोला, शुद्ध गुजा बीज २ तोला, जयन्ती, नीम तथा शुद्ध जयपाल के वीज प्रत्येक ४-४ माशा | प्रथम पारद और गधक की कज्जली बनाकर उसमें शेप द्रव्यो के चूर्ण मिलावे, फिर खरल करके उसमे भाग, जयन्ती, जम्बीरी नीबू का रस और धतूर के रस की एक-एक भावना पृथक्-पृथक् दे । फिर घृत के साथ भावना देकर ४-४ रत्ती की गोलिया बना ले । कठिन ऊरुस्तभ के रोग मे भी लाभप्रद यह योग होता है | सेवन विधि प्रतिदिन एक से दो गोली भुनी होग का चूर्ण २ रत्ती और सेंधा नमक ४ रत्ती के साथ सेवन करे । पथ्य - आहार-विहार मे इस रोग मे रूक्ष उपक्रम रखना चाहिये । एतदर्थ स्वेदन, जागरण, शक्ति के अनुसार व्यायाम, चक्रमण ( टहलना ), नदी या तालाब में तैरना, आदि विहार ठोक पडते है । भोजन मे जी, लाल चावल, कोदो, सावा, कुलर्थी, सहिजन की फलिया, करैला, परवल, लहसुन, चीपतिया, वयुवा, वैगन, नीम के कोमल पत्ते, बैत के अकुर, छाछ, आसव, अरिष्ट, शहद, कटु एवं तिक्त पदार्थ, कषाय रस प्रधान द्रव्य, चारद्रव्य ( यवक्षारादि या पत्र शाक, गोमूत्र, ) उष्ण जल का पीना या उष्ण जल से स्नान आदि श्लेष्महर 'द्रव्य पथ्य होते है । १ शिलाजतु गुग्गुलु वा पिप्पलीमथ नागरम् । ऊरुस्तम्भे पिवेन्मूत्रं दशमूलीरसेन वा ॥ २ ऊरुस्तम्भे प्रशंसन्ति गण्डीरारिष्टमेव वा ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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