SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 500
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४५० ___ . . भिषकर्म-सिद्धि दो वार कपडे से छानकर फिर मदी आंच पर पकावे । जब इतना गाढा हो जावे कि क्वाथ करछी या लकडी के हत्थे में लगने लगे, तब उसको नीचे उतार कर धूपमे मुखावे । जब गोली बनने लायक हो जाय तो उसमे १०-२० तोला पीपरा मूल का चूर्ण मिलाकर ३-३ रत्ती की गोलियां बना लें। २ गोलो रात में सोते वक्त लेने से निद्रा नाती है। दिन में दो-तीन वारउन्माद में प्रयोग करे। (वैद्य यादवजी के सि. यो सं. से ) उन्माद-गजकेशरी रस-शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक, शुद्ध मन मिला, शुद्ध धस्तूर वीज । प्रयम पारद और गवक की कज्जली बनाकर गेष द्रव्यो को मिलाकर महीन चूर्ण करे । उसमें ब्राह्मो स्वरस तथा बचाके क्वाथ की सात-सात भावना देकर तैयार करे। मात्रा ४ रत्ती दिन में दो या तीन वार । अनुपान गोवृत १ तोले के साय । ___ रसपर्पटी-शुद्ध किये धतूरे के पाच वीज के चूर्ण के साथ रसपर्पटो १-२ रत्ती का सेवन उन्माद में लाभप्रद रहता है। चतुर्भुज रस-रससिन्दूर २ तोला, स्वर्णभस्म, मन गिला, कस्तूरी और शुद्ध हरताल प्रत्येक एक तोला । घृतकुमारी के स्वरस से भावित कर गोला बनावे । एरण्डपत्र से गोले को आवेष्टित कर धान की ढेर में गाड़कर तीन दिनो के मनन्तर निकाले । फिर एरण्डपत्र के मावेष्टन को पृथक् करके सरल में भावित करके चूर्ण रूपमें बनाकर रख ले। मात्रा २ रत्ती । अनुपान त्रिफला चूर्ण और मधु । वहुत प्रकार के मस्तिष्कगत रोगो में लाभप्रद । क्षीरकल्याण धृत--इन्द्रायणमूल, त्रिफला, रेणुका, देवदारु, एलुवा, गालपर्णी, तगर, हल्दी, दारहल्दी, श्वेत सारिवा, कृष्ण सारिवा, प्रियङ्गु, नील कमल, छोटी इलायची, मजीठ, दन्तीमूल, दाडिम के छिल्के या अनारदाना, नाग केसर, तालीशपत्र, वडी कंटकारी, मालती के नवीन पुष्प, वायविडङ्ग, पृश्निपर्णी, मीठाकूठ, सफेद चदन और पद्माल प्रत्येक १ तोला । सव को लेकर पत्थर पर जल ने पीसकर कल्क बनावे। फिर एक कलईदार कडाही में इस कल्क को, मच्छित गोवृत १ प्रस्थ, जल दो प्रस्थ और गाय का दूध ४ प्रस्थ में छोडकर अग्नि पर चटाकर घृतपाक विधि ने वृत को सिद्ध कर ले। यह वृत उन्माद, अपस्मार में तथा अन्य बहुत से जीर्ण रोगो में मस्तिष्कदौत्यजन्य व्याध्यिो में लाभप्रद होता है। चंतस घृत-गाम्भारी से रहित दशमल की औपधियाँ, रास्ना, एरण्ड मूल की छाल, बला की जड, मूर्वा की जद, गतांवर, प्रत्येक ८ तोले लेकर एक
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy