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________________ चतुर्थ खण्ड : चौदहवाँ अध्याय ३२१ बढाने वालो कफको हरने वाली अथवा कफ को बढाने वाली लेकिन वात को हरने वाली, ऐकान्तिक क्रिया का क्रम ठीक नही रहता है। बृहण अथवा कर्शन का कार्य हिक्का तथा श्वास के रोगियो में बहुत विचारपूर्वक करना होता है। बृहण अथवा कर्गन के अति मात्रा में होने से हानि की आशका रहती है, परन्तु सशमन कार्य विल्कुल ही निरापद रहता है। अस्तु हिक्का-श्वास के रोगियो में अधिकतर सशमन के द्वारा ही चिकित्सा करनी चाहिए।' श्वास रोग में भेपज-वानस्पतिक ( Vegitable sources)-१. } हरीतकी ३ माशे, शुठी चूर्ण २ माशा मिश्रित कल्क का उष्ण जल के साथ सेवन । २. पुष्करमुल १ माशा,. यवक्षार १ माशा और काली मिर्च का चूर्ण १ माशा का उष्ण जल के साथ सेवन । हिक्का और श्वास दोनो मे लाभप्रद है.। ३. बहेडे के फल के हिल्के का चूर्ण १ तो०, मधु १ तोला मिलाकर सेवन श्वास तथा हिल्का मे सद्य लाभप्रद होता है ४ पुराने गुड के १ तोला में सरसो का शुद्ध तैल १ तोला मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कुल तीन सप्ताह के प्रयोग से श्वास रोग में पर्याप्त लाभ होता है। ५ विल्व पत्र स्वरस या अडसे की पत्ती का रस या सहदेवी की जड और पत्ती का रस या कमलपत्र-स्वरस का कटुतैल-सरसो के तेल के साथ सेवन । ६ कुष्माण्ड ( पेंठे) का सूखा चूर्ण ६ माशे गर्म जल के साथ । ७ छोटी पीपल और सैधव और अदरक के रस का सेवन । ७ शुद्ध गधक का गोघृत के साथ सेवन श्वास में लाभप्रद होता है । ९ भारङ्गो और गुड का सेवन या भारङ्गी एव सोठ का क्वाथ गुड मिलाकर सेवन करना भी श्वामध्न होता है । १०. केवाछ के बीज का चूर्ण घी और मधु के साथ सेवन करना । मात्रा ३ माशा चूर्ण, घृत ६ माशा और मधु १ तोला। १ यत्किचित् कफवातघ्नमुष्ण वातानुलोमनम् । भेषजमन्नपान व तद्धितं ग्वामहिक्किने ॥ बातकृद्वा कफहर कफद्वाऽनिलापहम् । कार्य नैकान्तिकं ताभ्या प्राय श्रेयोऽनिलापहम् ।। सर्वेपा बृहणे हयल्प शक्यश्च प्रायशो भवेत् । नात्यर्थ शमनेऽपायो भृशं शत्यश्च कर्शने ॥ तस्माच्छुद्धानशुद्धाश्च शमनवृहणैरपि । हिक्काश्वासादिताञ्जन्तून् प्रायशः समुपाचरेत् ॥ ( च चि. १७) २ गुड कटुकतैलेन मिश्रयित्वा सम लिहेत् । त्रिसप्ताहप्रयोगेण श्वास निर्मूलतो जयेत् ॥ (भै र ) ३ आर्ये प्राणप्रिये जातीफललोहितलोचने । भाीनागरयोः क्वाथ श्वासत्राणाय पाययेत् ॥ (वै जी )
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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