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________________ भिपकर्म-सिद्धि पचनसंस्थानीय कारण - आमाशय और अन्न--प्रणाली का क्षोभ जैसे मिर्च, मसाले, खटाई, धूम आदि विविध प्रकार के अजीर्ण, अतिसार, प्रवाहिका, विवध और आध्मान आदि । प्राचीनो के अनुसार पित्त स्थान से उद्भूत कहने का यही अर्थ है । पित्त स्थान का अर्थ सम्पूर्ण पचनसंस्थान से ग्रहण किया जा सकता है जिनके विकारो में हिचकी पैदा हो सकती है । ३७६ वातसंस्थानीय कारण - १ अपतंत्रक, मस्तिष्क शोफ, मस्तिष्कार्बुद, अपम्मार, मदात्यय (२) फुफ्फुसावृति णोथ, मध्यपर्शकीय अर्बुद या ग्रंथियाँ (Mediastinal glands), जीर्णवृक्कशोथ, मूत्रविपमयता में हिक्का उत्पन्न हो सकती है । इनमे प्रथम वर्ग का साक्षात् मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, दूसरे का प्रान्तीय वातनाडी क्षोभ ( Peripheral Nerve Irritation ) के द्वारा । हिक्का पाँच प्रकार की पाई जाती है अन्नजा, यमला ( चरक के अनुसार व्यपेता ), क्षुद्रा, गम्भीरा और महती । इनमें गम्भीरा ( नाभि से उठने वाली और गम्भीर गव्द करने वाली उपद्रव युक्त ) तथा महती ( मर्मो को पीडित करने वाली वडी हिक्का ) असाध्य होती है । यमिका भी यदि रोगी बलवान् हो, उपद्रव अधिक न हो, दो-दो या तीन हिचकी मिलकर आयें तो कृच्छ्रसाध्य अन्यथा असाध्य होती है । अन्नजा और क्षुद्रा हिक्का सुखसाध्य है ।" क्रियाक्रम —- सामान्य हिचकी में जहां मिर्च अधिक खा लेने से या तम्बाकू, सुर्ती आदि खा लेने से हिचकी आने लगती है, इसमें हेतु आमाशय और कंठ देश का क्षोभ होता है । इसमें पानी पिलाना पर्याप्त होता है । पानी पी लेने से, साँम रोक लेने से या मन को दूसरी दिशा में प्रेरित कर लेने से हिचकी शान्त हो जाती है । चित्तको दूसरी ओर आकृष्ट करने के लिये सहमा कुछ क्रियायें करने से हिक्का का दौरा खतम हो जाता है । संभवत इन क्रियावो से इडा स्वतंत्र नाडी- महल की उत्तेजना ( Sympathicotonia ) कम होकर प्राणदानाडी ( Vagotonia ) को क्रिया बढती है और लक्षणां मे शान्ति मिलती है । जैसे, शीतल जल का परिपेक (छोटा देना ), त्रास दिखलाना, विस्मय या आश्चर्य में डालना, क्रोध कराना, हर्प कराना, प्यारी वस्तु को दिखाना, उद्विग्न कराना, १. अन्नजा यमला क्षुद्रा गम्भीरा महती तथा । वायु. कफेनानुगत. पञ्च हिक्का करोति हि । हो चान्त्यों वर्जयेद्धि कमानो । अक्षीणञ्चाप्यदीनश्च स्थिरधात्विन्द्रियञ्च य ॥ तस्य माधयितु शक्या यमिका हृन्त्यतोऽन्यथा ॥ ( सु ३.५० )
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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