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________________ ' भिपकर्म-सिद्धि वासा कुष्माण्ड खण्ड-उक्तविधि से निर्मित पेठे का चूर्ण ५० पल (5२॥ सेर ) भर लेकर कलईदार ताम्र की कडाही मे प्रतप्त हुए १ प्रस्थ (६४ तोले) घृत के साथ भून लेना चाहिए। भूनते-भूनते जब पेठे का चूर्ण लाल हो जाय और सुगन्ध आने लगे तब उसमे खाण्ड १०० पल (S५ सेर ) और अडूसे का क्वाथ १ आढक (४ प्ररथ=२५६ तोला ) डाल कर अच्छी तरह पाक करना चाहिए । आसन्न पाक को अवस्था मे मोथा, आँवला, बंगलोचन, भार्गी, त्रिसुगन्ध ( दालचीनी, छोटी इलायची और तेजपात ) का प्रत्येक चूर्ण १-१ तोला, एलुआ सोठ, धनिया, काली मरिच का प्रत्येक चूर्ण ४-४ तोला और छोटी पीपल का चूर्ण १ कुडव (१६ तोला) प्रक्षिप्त करके कलछी अथवा शुद्ध लकड़ी के डण्डे से अच्छी तरह घोट कर चूल्हे से उतार लेवे। शीतल होने पर गहद १ मणिका अर्थात् ८ पल ( ३२ तोला ) मिला कर घृतस्निग्ध मिट्टी के पात्र अथवा काचपात्र में भर देवे। दूर्वाद्य घृत-दूर्वा को लता, कमल-केसर, मजीठ, एलवालुक, खाड, श्वेत चन्दन, खस, मोथा, लाल चन्दन और पद्माख प्रत्येक १-१ तोला लेकर सवको जल के साथ पत्थर पर पीस कर कल्क वना लेवें। फिर वकरी का घृत चतुर्गुण अर्थात् ४० तोला, तुण्डुलोदक घृत से चतुर्गुण (१६० तोला=३२ सेर) तथा वकरी का दुग्व 5२ सेर लेकर सवको कलईदार ताम्र अथवा पित्तल या लौह को कडाही में डाल कर कडाही को चूल्हे पर चढाकर मन्द-मन्द अग्नि जला के पाक करना चाहिए । मात्रा-१-२ तोले दूध मे। उशीरासव-खम, नेत्रवाला, कमल की जड, गम्भारी की छाल, नील कमल, प्रियमु, पद्माख, लोध, मजीठ, धमासा, पाठा, चिरायता, वट के अकुर अथवा छाल, उदुम्वर के फल अथवा छाल, कचूर, पित्तपापडा, श्वेत कमल की जड़ अथवा पत्ती, पटोलपत्र, कचनार की छाल अथवा पुष्प, जामुन की छाल और मोचरस प्रत्येक का चूर्ण १-१ पल । तथा मुनक्को का पत्थर पर पीमा हुआ कल्क २० पल (१ सेर ), धाय के फूल का चूर्ण १६ पल भर ले कर दो द्रोण (२५१ सेर ८ तोला ) जल में डाल कर एक वृतस्निग्ध तथा जटामासी और कालीमरिचो से धूपित मिट्टी के भाण्ड में भर देवें और उममें गर्करा १ तुला (१०० पल-५ सेर) तथा शहद १ तुला मिला कर भाण्ड के मुख को गराब से ढंक कर कपडमिट्टी द्वारा मन्विवन्धन करके १ मास तक एकान्त और उप्ण स्थान मे रख देवें । १ महीने के पश्चात् इसको वस्त्र से ठान कर वोतलो में भर ले । मात्रा-२ तोले भोजन के बाद वरावर जल मिलाकर ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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