SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ व्याख्यान-माला के अवसर पर भूमिका का प्रारंभिक भाग 'नेशनल मेडिकल कान्फरेन्स' अलीगढ़ के अधिवेशन में विभागीय अध्यक्षीय भाषण के रूप तथा पंचकर्म वाला भाग लेखमाला के रूप में प्रस्तुत हुआ था। शेषाश का पूरण भी आज से दो वर्ष पूर्व ही हो चुका था। पाण्डुलिपि का प्रकाशन होकर आज ग्रंथ सजन पाठकों के अनुरञ्जन के लिये उनकी सेवा मे अर्पित किया जा रहा है। गुरुकृपा तथा भगवान् भूतभावन विश्वनाथ तथा गौरी-केदार की कृपा से भावमय कल्पना का मूर्त स्वरूप इस प्रकाशित रचना के रूप मे देखने का अवसर प्राप्त हुआ है। एतदर्थ अपने इष्टदेवों के प्रति शतशः प्रणाम करते हुए उनसे पुनः याच्जा है कि इस रचना का 'भिपकर्मसिद्धि' नाम यर्थार्थ में सिद्ध करें। ___ग्रंथ के प्रणयन में ऋपि एट मुनि-वचनों का आश्रय लेकर चलना पड़ा है साथ ही विभिन्न आचार्यों, ग्रंथकारों, विविध तद्विद्य विद्वानों, देव और देवियों से प्रत्यक्ष रूप में बहुत प्रकार की सहायता प्राप्त हुई है। इन सवों के प्रति प्राणत तथा आभार प्रदर्शन करना अपना एक पुनीत कर्त्तव्य समझता हूँ। अन्य उन नवीन प्राचीन ग्रंथकारों के प्रति भी कृतज्ञता ज्ञापन करते हुए हर्ष हो रहा है जिनकी कृतियों का उद्धरण इस रचना में प्राप्त हो रहा है। अंत में ग्रन्थ के मुद्रक एवं प्रकाशक के प्रति विशेपत. पं० ब्रह्मशंकर जी मिश्र तथा पं० रामचन्द्र जी झा के प्रति भी अपना हार्दिक उद्गार प्रकट करना उचित समझता हूँ जिन्होंने अपने अथक परिश्रम से ग्रन्थ को शृंखलावद्ध करके सुन्दर रूप देने में स्तुत्य प्रयत्न किया है । औषधञ्चौपधिर्भपज टकितम् , कापि हीन न वा वीर्यतश्चाधिकम् , तत्स्वतन्त्रं समस्तं हित साधने , कालसाऱ्यात्तुवीयैः कृतं योजितम् , आगमैराप्तमभ्यस्य वारान् बहून् , यद् भिपक्कमसिद्धौ मया गुम्फितम् । गुरुपूर्णिमा सं० २०२० वै० विनयावनत श्रीरमानाथ द्विवेदी
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy