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________________ २६३ चतुर्थ खण्ड नवॉ अध्याय ४ मा म मे घी में भुनी हीग और काला नमक मिलाकर मेवन । ५ जोन के पूर्व लवण और अदरक का सेवन-अग्नि का संदोपन, जिह्वा मा भिगोया नया हा होता है। दिग्वष्टक चूर्ण-शराठी, मरिच, पिप्पली, अजमोदा, सैन्धव, श्वेत जीरा, Tोग और त मे नुनो हिंगु । सब मम भाग मे बना चूर्ण । मात्रा २ मीने मागे । अनुपान घृत में मिलाकर भोजन के साथ प्रथम कवल मे मित नाग है, जाठराग्नि को दीप्त करता है। भास्कर लवण-पिप्पली, पिप्पलीमूल, धान्यफ, काला जीरा, पीमा हुआ * ण, विरवण, तेजपन, तालोश पन, नागकेसर प्रत्येक का चूण ८ कोनोरकर (काला नगर) २० तोले, काली मिर्च, श्वेत जीरा, शुण्ठी प्राचार नोने, दाल चीनी, छोटी इलायची प्रत्येक का चूर्ण २ तोले, म: -वन :२ नोले, जनारमानो का चूर्ण १६ तोले, अम्लवेत ८ तोले । सभी कोला त प्रमाण में बना महीन चूर्ण । मात्रा २ माशे से ४ माशे । अनुपात-हा, मानी, गपत, जंगली पशु-पक्षियो के मारारस अयवा केवल गर्म कनिन योग है इनके सेवन से अग्नि दीप्त होती है फलत मन्दाग्नि र उत्पन्न होनेवाले अर्थ, अतिनार, गहणी, विवध आदि सभी रोगो मे नादान चूर्ण का नाम आविष्कारक के नाम पर आधारित है। भास्कर नामक जाना ने नसार के कल्याणार्थ सर्वप्रथम चिकित्माशास्त्र मे इस योग का प्रोता मागचा । इन योग मे लवणो को निकालकर अलवण-भास्कर चूर्ण बनाया जा सकता है, जिनमे लवण अपथ्य हो विशेषत मधुमेह के रोगियो मे अनिमात रोने पर प्रयोग मे लाना उत्तम रहता है। को नधावटी-गद्ध टकण, गुण्ठी, मरिच, पिप्पली, सज्जीखार, यवाखार, सांवला, हरीतकी, विभीतक का छिल्का, लौंग, चीते की जड, चव्य, पचलवण, तिन्तिटीक, मट्टा अनारदाना, सोठ भुनी, लौह भस्म, भीमसेनी कपूर सम भाग और चर्णबारे पश्चात अम्लवेत के काढे से, अदरक के रस, नीबू के रस से तथा अजवायन के काढे से तीन-तीन वार भावना देकर चना के वरावर की गोली। दिन में तीन-चार गोली जल से । , क्षुधासागर लवण-घी मे तली भूरी सोठ ४ छटॉक, काली मिर्च २ छटाँक, पोपरि ॥ तोला, भुना जीरा २ छटाँक, अजवायन २ छटॉक, बडी इलायची का वीज १॥ छटांक, लीग १॥ छटाँक, सज्जीखार १॥ छटाँक, जवाखार १ छटाँक, सेंधा नमक १॥ छटाँक, काला नमक १॥ छटाँक, घी मे भुनी तलाव हीग १४ माशे । मव का कपडछन चूर्ण । मात्रा ३ माशे । अनुपान उष्णोदक ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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