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________________ २६० भिण्कर्म-सिद्धि ७ भाग, सवो को मिलाकर बना मिश्रित चूर्ण । मात्रा मागे । अनुपान जल या दूध। यह एक मृदु रेवन ( Mild purgative) है। वर्ग के रोगियो को प्रकोपावस्था में एक सप्ताह तक नित्य प्रयोग करने से मल का गोग्न करके वड़ा लाभप्रद होता है। ___अर्शोन्नी वटी-नीमके फल की गुही २ भाग, महानिम्ब (वकायन ) के फल की गुढी २ भाग, खूनखराबा २ भाग, तृणकान्त (कहरवा) की गुलाब जल से घुटी हुई पिष्टि १ भाग, गुद्ध रसीत ६ भाग लेकर महीन पीसकर । तीन-तीन रत्ती की गोलियां बना ले। मात्रा १ से २ गोली तीन बार जल मे । __कुछ व्यवस्थापत्र-गुष्कार्य में बर्ग कुठार रस १ मागे की दो मात्रा मे वांटकर सुबह-गाम गुलकद या मुनक्के की चटनी से। मर्शकुठार के साथ या नित्योदित रस २ रत्ती मुबह-गाम या काड्वायन मोटक या चंचत्कुठार रस ४ रत्ती सुबह धीर गाम भी दिया जा सकता है । अभयारिष्ट या दन्त्यरिष्ट भोजन के बाद दोनो समय दो से चार चाय की चम्मच भर समान जल मिला कर । रात्रि में सोते वक्त यष्टयादि चूर्ण ६ मागे गर्म जल या दूध से लगातार एक सप्ताह तक । सावी अर्श या रक्तार्श में अर्णोध्नी वटी १ से २ गोली दिन में तीन चार ठडे जल से । भोजनोत्तर अभयारिष्ट या दन्त्यरिष्ट । यष्टयादि चूर्ण लगातार चार दिनो तक ६ मागे की मात्रा में दूध या जल में । पञ्चात् चन्द्रप्रभागुटिका का लम्बे समय तक प्रयोग करना चाहिये । २ गोली रात में सोते वक्त दुध से। पथ्य-पृराना चावल, गेहूँ, जो, मूंग की दाल, गाय का दूध, मक्खन, घृत, तक, पत्रगाको मे (वयुवा, पुनर्नवा, पटोलपत्र, चणक ), फल-याको में सभी विशेषतः लौकी, परवल, कच्चा पपीता, वैगन, पका टमाटर (विगेपत. रक्ताम), भण्टा का भर्ती, कंद गाको में गलजम, मूली, मूरण, पलाण्डु, मासो में मुर्गा, वत्तक, लवा, बटेर, तीतर, हिरण और बकरे का मासरस (सामान्यतया मामरस सभी विववकर होते हैं यस्तु उनका प्रयोग कम करना तथापि हल्के और मुपाच्य मास रसो का उपयोग किया जा सकता है।) संघव लवण, धनिया, जीरा, सो०, बजवायन, लहसुन, काली मिर्च, हल्दी, आँवला, कपित्य आदि मसाले व्यवहार में लाने चाहिये। फलो मे पका पपीता, वीज रहित अमरूद, मुनक्का, किनामिग, अजीर, माँवले का प्रयोग पथ्य है। रक्ताह के रोगियों में विशेषतः तिनपतिया, चौपतिया, वरगढका अकुर, कमल को पंखुडी, विस (कमलनाल ), कच्चा केला, फलो में यनार, मोसम्मी, पिण्ड खजूर, किशमिश, पका गूलर मादि विगेप लाभप्रद रहते है।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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