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________________ द्वितीय खण्ड : द्वितीय अध्याय १५३ दो बार नस्य देना चाहिए । अन्य अवस्थाओ मे एक दिन छोड कर नस्य देना चाहिए । नस्य का कर्म सात दिनो तक चलाना चाहिए । पश्चात कर्म :-नस्य देने के उपरान्त फिर गले, कपोल आदि का स्वेद करके रोगी को धूमपान कराना चाहिए । पश्चात् नियमो का पालन करना चाहिए । धूल, धूप, धूम (धूवाँ ) स्नेह, मद्य, द्रवपान, शिर से स्नान, बहुत सवारी करना, और क्रोध आदि का त्याग करना चाहिए । मात्रा :-विरेचन मे स्नेह की मात्रा चार, छ या आठ वूद (प्रति नासापुट के लिए) की है। इनको बल के अनुसार वरतना चाहिए। प्रदेशिनी अङ्गलि ( Index finger ) को दो पोरवे ( पर्व ) तक स्नेह मे डुबो कर उनसे निकली एक बूंद प्रथम मात्रा है। इसी प्रकार की ४-६ या ८ 'दो (drops ) को रोगी के वलावल का विचार करते हुए वरतना चाहिए। __स्नेह की मात्रा के भेद से इसकी तीन मात्राएँ उत्तम, मध्यम, और हीन की जाती है। प्रथम मात्रा या हीन मात्रा १६ बूदो की, मध्यम मात्रा ३२ बूंदो और उत्तम मात्रा ६४ बूंदो को होती है। अवपीडन:-अवपीडनस्य शिरोविरेचन की भांति अभिपण्ण ( मेद-कफ से भरे शिर वाले ), सर्पदष्ट, मूच्छित पुरुषो को देना चाहिए। इसके लिए पिप्पली, विडग आदि शिरोविरेचन द्रव्यो मे से किसी एक को पीस कर शर्करा, इक्षुरस, दूध, घी, मासरस मे से किसी एक के साथ मिलाकर क्षीण हुए एव रक्तपित्त के रोगियो मे देना चाहिए। ___ कृग, दुर्बल, भीरु तथा कोमल प्रकृति वाले पुरुष एव स्त्रियो मे शिर के शोधन के लिए सिद्ध किए स्नेह तथा अन्य द्रव्यो का कल्क हितकारी है। __ अवपीडन जैसे नाम से ही ज्ञात हो रहा है कि इसमे मरिच, शुठी आदि तीक्ष्ण द्रव्यो का कल्क बना कर निचोड कर उसका नस्य दिया जाता है इसीलिए अवपीडन कहलाता है। प्रधमन ( Insufflation of Powder through Nose ) - मानसिक विकार, कृमि और विप से पीडित व्यक्तियो मे नासामार्ग से फूक मार कर चूर्ण को अन्दर मे प्रविष्ट करते है । इसके लिए ६ अङ्गल लम्बी दोनो ओर मुख वाली नाडो बना कर उसमे औपधि भर कर फूंक से नासा मे देते है । यह बड़ा तीन प्रकार का नस्य है और दोपो को अधिक मात्रा मे खीचता है, इसमे चूर्ण की मात्रा मुच्चटी (चूटकी भर ) रखते है । प्रतिमर्श :-इसके दो प्रकार होते है । मर्श तथा प्रतिमर्श ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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