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________________ ११८ भिपकर्म-सिद्धि शीतल वस्तुओ के प्रति इच्छा प्रभृति लक्षण होते है। जब ये लक्षण उत्पन्न हो जाय तो स्वेदन बन्द कर देना चाहिए । अयोग-मिथ्या या असम्यक् स्वेद में उनके विपरीत लक्षण पाये जाते है। अतियोग-(Heat Exhaustion or Heat stroke) अत्यधिक मात्रा मे स्वेदन होने से सघि गूल-विदाह (Nulitis) म्फोटोत्पत्ति (Rashes), पित्तरक्तकोप ( Haemorrhage ), मू» ( sycope), भ्रान्ति (Giddiness ), gre ( Burning ), 199791 (Thirst ), 48.19€ ( Exhaustion ), प्रभृति लक्षण उत्पन्न हो जाते है । पश्चात् कर्म-After Treatment स्वेदन के अनन्तर मगो का मर्दन करके उष्ण जल से स्नान करे। स्नेहन विधि में कथित नियमो का पालन करे । स्वेदन काल मे पद्म उत्पन्न ओर पलाग पत्र के द्वारा या गीतल जल के द्वारा पात्र से अथवा कमल या मुक्ता की माला से हृदय और नेत्रो की हिफाजत करनी चाहिए । वमन विरेचन ( Emesis and Purgation) प्रयोजन :-कोष्ठगत ( Thorar and Abdoman ) दोपो को निकालने मे मुत्यत. वमन और विरेचनो का प्रयोग होता है। इसलिए ऊर्व भाग के टोप हरण को वमन और अधोभाग के दोप हरण को विरेचन कहते है । अथवा दोनो उपक्रम को हो गरीर के मलो के विरेचन करने के कारण विरेचन कह सकते है । सस्थान का प्रक्षालन (Flushing of system ) इसका प्रधान उद्देश्य है। वमन आमागय प्रभृति पचन संस्थान के ऊपरी नाग (Upper digestive tract) तथा श्वसन मार्ग तथा हृदयादि अगो (Respiratory and cordial ) की शुद्धि (Thoracis organs) करता है तथा विरेचन, पाचन-संस्थान, यकृत प्लीहा (Reticulo Endothelial System ) तथा स्त्रियो मे गर्भाशयादि की भी शुद्धि करता है। __द्रव्य-गुण ( Properties ) वमन करने वाले द्रव्य प्राय वायु एवं अग्नि गुण भूयिष्ठ अर्थात् तीक्ष्ण, सूक्ष्म, व्यवायि, विकामी गुण होने वाले एवं सम्पूर्ण शरीर के दोपो के मंधात को विलीन (उष्ण होने से पिघला कर) करके, छिन्न करके (तीक्ष्ण होने की वजह से) कही पर बिना रुके इधर-उधर वहता हुया (स्नेह के पूर्व प्रयोग से चिक्ने कोष्ट मे ) संकीर्ण मार्गों से गुजरते हुए ( अणु या सूक्ष्मता के कारण ) आमाशय में दोपो को लाकर उदान वायु से प्रेरित होकर, प्रभाव से दोपो को निकाल देते है ।
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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