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________________ Co गिना चाहिए। न मे यह गोधन या पंचकर्म उतना होते हुए भी आज की वैवपरम्परा में सुप्तप्राय है । चरक महिना में गए उपदान ही मिट्टिस्थान नामक पाया जाता है। निस्याना उद्देश्य हो 'वमन विरेचन प्रभृति पचवर्मा के सम्पर् प्रवेग का ज्ञान था न कर्मों से उत्पन्न व्यापदी ( Compl1cation) मुनि उपचारका वताना ही है । उस स्थान के जान व्यक्ति में दल बन जाता है । अगर दूसरी दृष्टि ने यह एरिया है। चिकित्सा प्रभृति अन्य मेनिया में प्राप्त करने के जोवध कर्म बतलाए गए सेक्स पर कार ने करने से हो मिद्धि भव है। इन लिये कम नहेतुको सफल बनाने के हेतु निहि या गया है। थियाय पठन-पाठन के अतिरिक्त और प्रयाग - चिमणीय है। बहुत कुछ उनकी औपनियाँ ( Diugs), गीत/ Administrations ), मानाएँ ( Dosage ), *न ( Iut:mentations ) प्रभृति बाने अतीत के गर्न मे f:--- ( Obolte ) हो गई है। प्रान स्मरणीय पूज्य स्वर्गीय श्री बार श्री शनाया हिन्दू विश्व नायने एवं विपिन मेन ***** $5 * **** • भिपक्रम-सिद्धि मीनार भाग से प्रतियाओं से कोठी है, परंतु प्रताप <x नेरी Sx 7 TIT कहा था कि ये पंचकर्म है । हटयोग की के नहीं के लिए भी न पच ea diferi पाने हैप 71
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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