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________________ भिषम-सिद्धि - - बारी विमाता दूर होकर गेग का दूर होना भी 7 माटरग हा तो विपरीतार्यकारी परे का और वरमे न या प्रयोजन ? लियममार न्याय-मगर अग्नि की लपटी को आवे के अन्दर 7 निमिन बारकपन कर देता है। जिनमे भाण्डFor 7 में बाहर निच जाता है और अत स्थित अग्नि है। जिसम्ममार न्या' कहलाता है। जल मतरण : : 7ग होता है। -- न बीमागत है नचापि इन दोनो बगों में कुछ - प्रमित के लिये ही मास्तकारो ने तदर्थवारी - पाटन-मानिचरा ने भी विपरीतार्यपारी उपाय का 1 1TH मान परम्मत के निर्वाहा भी विपरीतार्यकारी irf Tra,। बात कह है विपरीत नित्मिा 3 निशान दिनी गा-धर्म एव कार्य के होते है, i. शर्म आपतन. कमान प्रतीत होते है जान । मानन्द दोनो पर ही प्रतीत होते हैfreration : । हेपनीने या नमाना प्टि.....: विमान में वही वैषम्य है। बन्नु F में भाग में बरगे चरने वाले . . ' ' गरिमा । उदाहरण के iry in ChutnTAL Cine होने, अनमे पिन . से " . .:: : :ने में लगातानी गगन - ..... :: ने वाले गरे । प्रार vi-si ---- * * *:: * :* :* :* :G+ : roi t. (1), Antants.int tillaps ) मान्यांनि गतः । • " -- For : Aye rur - 7
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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