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________________ द्वितीय अध्याय even - - - विधि मोर अन्न विहार हतु विपरात । सीतज कफज | श्रम तथा वातज दिवास्वाप से उत्पन्न | ज्वर मे मासरस | कफाधिक्य मे ज्वर मे गुठी Chemo. भात रात्रिजागरण Therapy व्याधि विपरीत अतिसार मे स्तंभनार्य मसूर उदावत मे प्रवाहण Symptoma tic Treatment विरुद्ध लक्षण अतिसार के स्तभन के लिये पाठ कुटज, कुष्ठ मे सादेर, प्रमेह मे हरिद्रा उभय विपरीत (३) Radical Treatment स्निग्ध पदार्थों के वातिक शोथ मे / वात कफज ग्रहणी मे तक्र तथा पित्तज | सेवन और दिवा वात एव शोयहर | मे दूध । गीतजन्य स्वाप से उत्पन्न दशमूल वात से उत्पन्न | तन्द्रा में रूक्षरात्रि ज्वर मे पेया जागरण । १५ हेतु विपरीतार्थकारी " पित्तप्रधान प्रतिक फोडे में | वातज उन्माद में फोडे पर उष्ण भय दिखलाना विदाही अन्न उपनाह १३ छदि मे वमन व्याधिविपरीतार्थ | छदि रोग म वमन | अतिसार मे विरे कराने के लिये कागे कारक मदन चनायं क्षीर प्रवाहण फल का प्रयोग १४ PLE १८ मदात्यय में मद | व्यायाम से उत्पन्न उभयविपरीतार्थकारी | अग्नि से जल जाने | कारक मद्य का । पर अगुरुसग । मेवन, परिणाम ऊरु स्तभ मे जल (६) उष्ण पदार्थों का लेप गल मे मटर के में सतरण रूप Homeopathic/ विपजन्य रोग । सत्तू का सेवन । व्यायाम मे जगम । अवरोध जन्य । वात Vaccine & | मोल विप में । कर भुने चने का Iserum therapy जगम विप सेवन Treatment or विप में मील एक -
SR No.010173
Book TitleBhisshaka Karma Siddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnath Dwivedi
PublisherRamnath Dwivedi
Publication Year
Total Pages779
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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