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________________ ग्रन्थकार का परिचय। [४०९ ही नवाबी थी। आगरा प्रांतके जिला एटामें तहसील अलीगंजके अन्तर्गत मौना कोट है। कहते हैं कि तब इसी ग्रामके एक सज्जन नवाबके 'नायब' थे और इन नायबके भण्डारीका कार्य समझिये 'एक जैन कुटुम्ब करता था। उसी जमाने में यह हुआ कि फर्रुखाबादके नवाबका कोई सम्बंधी कोटके पास मा निकला ! कहते हैं। कि उसका नाम नवाबखां बहादुर था। उसने अलीगनकी नींव जमाई । जब अलीगंज वसने लगा तब बहुतसे लोग बाहरसे बुलाकर वहां वसाये गये । कहा जाता है कि उसी समय कोटके उक्त जैन कुटुम्बके लोग भी अलीगंज आगये । उनको यहा भूमि दी गई तथा एक बाग भी मिला, जो आजतक इस कुटुम्बमें है। इस कुटुम्बमें एक सज्जन ला० निर्मलदाप्त नामक थे। उनकी संतानमें श्री फूलचन्दनी नामक हुये । कोट ग्रामसे आने के कारण यह जैन कुटुम्ब तबसे बराबर 'कोटवाले ' नामसे Lख्यान है। वैसे यह वैश्य जातिका है। जैनोंमें वैश्य भनेक उपजातियो में विभक्त हैं, यह वंश बुढेलवाल कहलाता है । ऐतिहा एक शोधसे मालूम हुआ है कि बुढेलों का निकास लगभग १६ गताब्दिमें लम्बकंचुक जातिसे हुआ था। लवकंचुक जातिकी उत्पत्ति दिवशी राजा लोमकरणकी संतानसे हुई कही जाती है। वैसे तो द्वारिकाके साथ सारे यदुवंशियों का नाश होगया था; परन्तु जरत्कुमा निःशेष रहे थे। वह कलिगमें जाकर राज्य करने लगे थे। उनके बाद कलिङ्गमें बहुतसे राजा हुये, परन्तु उनमें कोई भी लोमरण नामक नहीं है । अतः मालूम ऐमा होता है कि यदुवंशो गाना मगवान महावीरके बाद कलिंगके राजा जितशत्रुकी संतान कोई हमा
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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