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________________ नागवंशजोंका परिचय ! [१७, वहापर कोटरक्षक वजमुखकी कन्याको परास्त करके इनने उसके साथ विवाह किया था। यहांपर जो कन्यासे युद्ध करने का उल्लेख है, वह शायद 'स्त्रीराज्य' की स्त्री शासकोंका बोधक हो; क्योंकि मिश्र, न्यूविया आदिके किनारेपर ही इस स्त्री-राज्यको अवस्थित खयाल किया गया है और फिर हनूमान लंकामें पहुंच जाते हैं। यहां हम पहले हनूमानको दक्षिण भारतके छोरसे समरकन्द बगदाद मादिकी ओर चलकर मध्य ऐशियाको लाधकर लका पहुंचते अर्थात् मिश्नमें दाखिल होते पाते हैं और यह है भी ठीक । इस रास्तेमें मध्यऐशियाका माना जरूरी है। इस तरह भी लंकाका मिश्रमें होना -ठीक जंचता है। अव रामचंद्रनीकी लंकापर चढ़ाई ले लीजिये। पहले ही उन्हें वेलधरपुर पहुंचा बतलाया गया है। पद्मपुराणमें देशोंके नामको हम नगरोके रूपमें प्रायः व्यवहृत हुआ पाते हैं। उदाहरणके तौरपर रत्नहीप एक नगर बताया है, परन्तु वह वास्तवमें एक देश था क्योंकि वह आजकलकी लंका ही है. यह हम देख चुके हैं। इसलिये वेलधरपुर यदि कोई देश हो तो आश्चर्य नहीं ! मव्य-ऐशियामें हिन्दू शास्त्रोका बित्तल प्रदेश 'आन-तेले' रूपमें बतलाया गया है । और आब-नेलेका भाव उन हूण लोगोंसे है जो आक्षस (Oxus) नदीके किनारोंपर वसते थे। बेलंधरपुर आवतेलेके हूणों का निवासस्थान ही होसक्ता है क्योंकि वेलंधरपुरके शब्दार्थ यह होसक्ते हैं कि बेल (=माब-बेले-जाति)को १. पूर्व० भाग १ पृ० १३५. २ दी इतिश्न हिस्टोरीकल क्वारटी भाग १ पृ. १३५
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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