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________________ १०४ ] भगवान पार्श्वनाथ | एक अन्य जातक में कौशलके राजा दव्वसेन द्वारा काशीके एक राजाके पकडे जानेका उल्लेख है । दव्यसेनने राजाको हथकड़ीबेड़ी डलवा कैद कर दिया था, परन्तु वह अपने ध्यानके बल ऊपर आकाशमें बैठे नजर आए। यह देखकर दव्वसेनने उनसे क्षमा प्रार्थना की और उनका राज्य उन्हें वापिस दे दिया ।' एक दूसरे जातक में लिखा है कि कौशलके राजकुमार ढीघावुने काशीके राजाको वनमे सोता पाकर पकड़ लिया । इम रामाने यद्यपि दीघाचुके माता-पिताको तलवारके घाट उतारा था, पर इसने उसको मारा नहींः प्रत्युत जरा ही धमकाकर उसे मुक्त कर दिया । इनपर राजाने उसे अपनी पुत्री परणा दी और उसका राज्य उसे वापस दे दिया | सारांशत' इन जातक कथाओंसे काशी - कौशलका पारस्परिक सम्बन्ध स्पष्ट प्रगट है। जैन शास्त्र के इस कथनसे कि रामचन्द्रजी कौगलाधीश दुगरथकी आज्ञासे काम में राज्य करने लगे थे, यह स्पष्ट होजाता है कि अवश्य ही एक समय काशीपर कौनलका अधिकार था । फिर श्री ऋषभनाथजीके कागी कौशलाधिप सम्राट् भरतके आधीन थी, पार्श्वनाथ के समय में उनमें आपस में मित्रता थी और वे स्वतंत्र थे, यह प्रकट होता है; क्योंकि अयोध्या के राजा जयसेनका पार्श्वभगवानको मित्रवत् भेंट भेजनेका उल्लेख जैनशास्त्रोंमें मिलता है ।" इस प्रकार काशी और कौशलका पारस्परिक सम्बन्ध उस जमाने में था । तीर्थकाल में भी परन्तु भगवान १ - जातक भाग ३ पृ० २०२ १ २ - जातक भाग ३ पृ० १३९१४० 1 ३–उत्तरपुगण पृ० ३६९ | ४- आदिपुराण पर्व २६-६३ । - पार्श्वपुराण ( वाई ) पृ० ११४ |
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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