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________________ [ ९ ] अर्थात् - "हमें यह दोनों बातें याद रखना जरूरी हैं कि सचमुच जैनधर्म महावीरजी से प्राचीन है । इनके सुप्रख्यात पूर्वागामी श्री पार्श्व अवश्य ही एक वास्तविक पुरुषके रूपमें विद्यमान रहे थे । और इसीलिये जैन सिद्धान्तकी मुख्य बातें महावीरजीके बहुत पहले ही निर्णीत होगई थीं ।" हालही में बरलिन विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध विद्वान् प्रो० डॉ० हेल्थ वॉन ग्लासेनाप्प पी० एच० डी० ने भी जैन मान्यताको विश्वसनीय स्वीकार करके भगवान् पार्श्वनाथजीकी ऐतिहासिकता सारपूर्ण बतलाई है ।गत वेम्बली प्रदर्शनीके समय एक धर्म सम्मेलन हुआ था, उसके विवरण में जैनधर्मकी प्राचीनता के विषय में लिखते हुये सर पैट्रिक फैगन के० सी० आई० ई०, सी० एस० आई० ने भी यही प्रकट किया है कि " जैन तीर्थंकरों में से अंतिम दो - पार्श्वनाथ और महावीर, निस्संदेह वास्तविक व्यक्ति थे; क्योंकि उनका उल्लेख ऐसे साहित्य ग्रन्थोंमें है जो ऐतिहासिक हैं । यही बात मि० ई० पी० राइस सा० स्वीकार करते हैं । (They may be regarded as historical) श्रीमती सिन्कलेपर स्टीवेन्सन भी पार्श्वनाथजीको ऐतिहासिक पुरुष मानतीं हैं । * फ्रांस के प्रसिद्ध संस्कृतज्ञ विद्वान् डॉ० गिरनोट तो स्पष्ट रीति से उनको ऐतिहासिक पुरुष घोषित करते हैं । ( "There can no longer be any doubt that Paisvanatha was historical personage")" इसी प्रकार अग्रेजी के महत्वपूर्ण कोष- ग्रंथ "इंसाइ 112 3 ४ १ - डर जैनिसमस पृ० १९-२१ । २- ग्लिीजन्स ऑफ दी इम्पावर पृ० २०३ । ३ - कनारीज लिटरेचर पृ० २० । ४- हार्ट ऑफ जैनीज्न पु० ४८ । ५- ऐसे ऑन दी जैन बाइव्लोप्रेफी ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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