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________________ भगवान पार्श्वनाथ । बौद्ध साहित्यपर जब दृष्टि डाली जाती है तो वहांपर म० बुद्धके पहलेसे सोलह राज्योका अस्तित्त्व भारतवर्ष में मिलता है। बेशक म० बुद्धके जीवनकालमें भी इन सोलह राज्योंका और इनके साथ अन्य प्रजासत्तात्मक राजाओका अस्तित्व मिलता हैपरन्तु ऐसी बहुतसी बातें हैं जो इन सोलह राज्योंका अस्तित्व म० बुद्धसे पहलेका प्रमाणित करती है । म बुद्धके जीवनमें कौशलका अधिकार काशीपर होगया था; अङ्गपर मगधाधिपने अधिकार जमा लिया था और अस्सक लोग संभवत. अवन्तीके आधीन होगये थे, कितु उपरोक्त सोलह राज्योमें ये तीनो ही देश स्वाधीन लिखे गये हैं। इसीलिए इनका अस्तित्व बौद्ध धर्मकी उत्पत्तिके पहलेसे मानना ही ठीक है । यह वात दीघनिकाय (२-२३५) और महावस्तु (३ ॥ २०८-२०९)के उल्लेखोंसे मी प्रमाणित हैजिनमें बौद्ध धर्मके पहले केवल सात मुख्य देशों अर्थात् (१) कलिग, (२) अस्सक, (३) अवन्ती. (४) सौवीर, (५) विदेह, (६) अङ्ग और (७) कागीका नामोल्लेख है । इसमें भी कलिङ्गके साथ अस्सक, अङ्ग और काशीका उल्लेख स्वतंत्र रूपमे है । इस अवस्थामें कहना होगा कि भगवान पार्श्वनाथजीके समयसे ही सोलहराज्योका अस्तित्व भारतमें मौजूद था। इस प्रकारकी राजव्यवस्थाके दर्शन हमे भगवान पार्श्वनाथके समयमें होते है और उस समयकी सामाजिक और राजनैतिक परिस्थितिका दिग्दर्शन करके आइए पाठकगण, एक नजर तत्कालीन धार्मिक परिस्थिति पर भी डाल लें। १ कम्बिज हिस्ट्री ऑफ इन्डिया भाग १ पृ० १७ ।
SR No.010172
Book TitleBhagavana Parshvanath
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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