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________________ ९३९ १३ अध्ययन १४७ २४ रहते १४१ ८ निकांचित १४१ २२ आत्मावाले... १४२१५-१७ श्वेताम्बरी १४३ १ अनिष्टको कर की १४३ ९ १४३ ९ उससे ( ३ ) शक्ति १४३ १० १४७ ८ जाति १४९ ९ आत्मा १५१ ४ उपसर्गों की १५२ २४ भ्रम १५१ २० गढता १६० ५ लेवल १६२ १५ समय १६५ ४ सुख १६६ ३ खाक १६८ ५ वाहर १७० ४ पारिधि १७४ ३ स्वांस १७७ ६ कुछ चक्र ... ... ... ... ... ... ... ... ... ... .. ... ... अध्ययन व करते निकाचित आनेवाले श्वेताम्वी अनिष्ट कर कि ... स्थिति जति आत्मा को उपसगों को क्रम गठिता केवल संयय दुख खरक बारह परिधी स्वांग कुचक्र .. यह पृष्ठ ७५ के अंदर भूल से लिखा गया है कि, महात्माओं ने परस्थिति का अध्ययन कर एक २ नवीन चात भूल से लिखी गई है । महावीर ने किसो नवीन धर्म की नींव नहीं डाली प्रत्युन प्राचीन काल से चले श्राये हुए जैन धर्म का ही नेतृत्व ग्रहण किया । जैसे कि इमी पुस्तक में अन्यत्र लिखा गया है । + · महावीर और बुद्ध दोनों धर्म भी नींव डाली।
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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