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________________ ११३ अधिक भाग कोरा रह जाता है । उनके जीवन का आधे से महावीर एक महापुरुष हो गये हैं जो जैनियो के अन्तिम तीर्थ कर थे । फेवल इतना ही कहने से लोगों को मकना, न उनमें कुछ लाभ हो हो सकता है। के अंतर्गत महावीर के जीवन का रहस्य छिपा हुआ है, जिन तत्वों में मनुष्य जीवन का मुशकिले आसान हो जाता है, उन घटनाओं और तत्त्वों को जय तक हम पूर्णतया न जानलें तब तक जीवन चरित्र का मघा कार्य अधूरा ही रह जाता है । हमारे दुर्भाग्य से भारतवर्ष के प्राचीन इतिहास की सामग्री बहुत ही फम प्राप्त है। अत्यन्त दौड़ धूप के पश्चात किसी प्रकार चन्द्रगुम तक तो लोग पहुँचे है पर उसके बाद तो प्राय अन्धकार ही है । पाचात्य विद्वान पुराणो और दन्तस्थाओं के आधार पर कुछ अनुमान निकालते अवश्य हैं पर कुछ समय के पश्चात यह अनुमान उन्हे ही गलत मालूम ए लगता है। भगवान महावीर के सम्बन्ध में भी यदि वही यान की जाय तो अनुचित न होगा, धौद्ध और जैनप्रन्धों के sarara में यद्यपि कुछ विद्वानों ने कुछ धातों का निपटारा कर लिया है। पर उसमें भी बहुत मतभेद है । विद्वान भी बेचारे क्या करें, कहाँ तक तर्फ लगावें आखिर मन आधार सम्भ तो प्राचीन प्रन्थ ही रहते हैं। उन प्राचीन ग्रन्थों से आपस में ही मत भेद पाया जाता ៩ वे कहते हैं कि महावीर स्वामी का गर्भ हरण हुआ था । दिगम् कहते है कि, नहीं हुआ। इधर दिगम्बरी कहते हैं कि महावीर बालाचारी थे तो श्वेताम्बरी कहते हैं कि नहीं 1 ་ = भगवान् महावार " सन्तोष नहीं हो जिन घटनाओ
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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