SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ , ४६ (२) २--अनेकान्त-वाद १. अनेकान्तवाद और २. एकान्तवाद की व्यवहार एकान्तवाद ३४ बाधकता ३. अनेकान्तवाद की ४. अनेकान्तवाद की व्यवहार-साधकता ३६ उपयोगिता अनेकान्तवाद और अनेकान्तवाद और विज्ञान. ४४ अपेक्षावाद ७. अनेकान्तवाद और ८ अनेकान्तवाद और · , हठवाद ४६ सप्तभगी ९. अनेकान्तवाद और १०० उपसंहार , जैनेतर विद्वान ५० ... ३-कर्मवाद १. कर्मों का अस्तित्व ५४ २. मनुष्य अपने भाग्य का . निर्माता स्वय है ५७ ३. कम स्वयं अपना फल ४. - कर्म करने मे जीव देता है ५९ स्वतत्र है ६१ ५. कर्मफल भोगने में ६. कर्मवाद और साम्य- . 1, जीव परतत्र है, ६५ वाद ७. कर्म आत्मा का गुण ८. कर्म शब्द का अर्थ ७० - नही है ७० । ९. कर्मों की आठ मूल १०. कर्मों की उत्तर प्रकृतिया । प्रकृतिया ७२ तथा वन्धभोग सामग्री ७६ ११. कर्म बड़े बलवान १२ कर्म सम्बन्धी प्रश्नोत्तर ७८ होते है ७७
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy