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________________ (१३८) चोर को चोरी करने का दण्ड पुलिस द्वारा दिलवाना आवश्यक समझा जाएगा तो वह ईश्वर का अच्छा अन्धेर न्याय है कि एक ओर तो वह स्वय धनी को दण्ड देने के लिए चोर को उस के घर भेजता है और दूसरी ओर पुलिस द्वारा उस चोर को पकडवाता है। क्या यह ' - चोर को चोरी करने की बात कहे और शाह से जागने की-, इस कहावत के अनुसार ईश्वर मे दोगलापन नही आ जाएगा? ईश्वर ने प्राणदण्ड देने के लिए ही कसाई, चण्डाल तथा सिंह आदि हिसक जीव पैदा किए है। तदनुसार वे प्रतिदिन हजारो जोवो को मार कर उन के कर्मों का फल उन्हे देते हैं । ईश्वर को कर्मफल-प्रदाता मान लेने पर ये सभी जीव निर्दोष समझने चाहिए। क्योकि वे भी ईइवर की प्रेरणा के अनुसार ही कार्य कर रहे है। यदि ईश्वर इन जीवो को निर्दोष माने तब उस के अन्य सभी जीव जो कि दूसरो को किसी न किसी प्रकार की हानि पहुचाते है, निर्दोष ही समझने चाहिए। यदि उन्हे भी दोषी माना जाएगा तो यह उन के साथ महान अन्याय होगा। क्योकि राजा की आज्ञा के अनुसार अपराधियो को उन के अपराध का दण्ड देने वाले जेलर, फासी लगाने वाले चण्डाल आदि सभी जीव जव न्याय की दृष्टि से निर्दोष माने जाते है, तब उन के समान ईश्वर की प्रेरगानुसार अपराधियो को उन के अपराध का दण्ड देने वाले प्राणी दोषी कैसे हो सकते है ? २-ईवर सर्वशक्तिमान और सर्वज माना जाता है, अत उस के द्वारा दी गई सज़ा अमिट होनी चाहिए। पर ऐसा होता नहीं है। उदाहरण के लिए, ईश्वर ने किसी व्यक्ति को उस के अशुभ कर्म का फल देकर उन के नेत्रो की नजर कमजोर कर
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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