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________________ (१२३) है तो वह प्रत्यक्ष हो कर अपनी सारी स्थिति क्यो नही समझा देता ? अपने ही नाम पर अपनी ही सन्तति को मुर्गों की भाति क्यो लडने देता है ? ६-वैदिकधर्म को मानने वाले लोग वेद को ईश्वर की रचना मानते है और मुसलमान कुरान को खुदा का इलहाम कहते है। विचित्रता यह है कि वेद और कुरान दोनों में आकाश और पाताल सा अन्तर मिलता है। ऐसा क्यो ? ईश्वर भी अच्छा रहा, जो कभी कुछ कहता है, और कभी कुछ। मुसलमानो को काफिरो को मार देने मे स्वर्ग का प्रलोभन देता है और हिन्दुओ से कहता है कि ये म्लेच्छ हैं, इन से दूर रहो। इस प्रकार यह विरोध क्यो है ? यदि कहा जाए कि यह विरोध लोगो का अपना पैदा किया हुआ है, तो हम पूछते है कि विरोध पैदा करने वाले ऐसे लोगो को ईश्वर ने पैदा ही क्यो किया ? ७-वैदिकधर्म के अनुयायी लोग वेदो को ईश्वरकृत या ईश्वर की रचना मानते है । इसी मान्यता ने अपौरुषेयवाद को जन्म दिया है। पुरुषकृत वस्तु पौरुषेय और ईश्वर जिस तत्त्व का निर्माता हो उसे अपौरुषेय कहते है। वैदिक संस्कृति के प्रतिनिधि व्यक्ति वेदो को अपौरुषेय स्वीकार करते हैं। वेदो को मानने वाले दो प्रकार के लोग है, एक सनातनधर्मी और दूसरे आर्यसमाजी । सनातनधर्मी और आर्यसमाजो दोनो ने वेदो को ईश्वरकृत माना है । दोनो ही वेदविहित आदेशो, उपदेशो तथा सन्देशो को ईश्वरीय स्वीकार करते है। पर दोनो के क्रियाकाण्डो मे, आचार-विचारो मे महान अन्तर
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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