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________________ ★ ( ११७ ) । 1 पुरानी बातो को राजधानी बनने जा जगलो ने उस प्रदेश है । इसी प्रकार जहा पहले स्रोत फूट रहे थे, दरिया बहते थे, वहा ग्राज रेगिस्तान बन गया है जाने दीजिए । आज जहा पंजाब की रही है, वहा पहले क्या था ? बडे-बडे की घेर रखा था, कही नदिए वह रही थी, और कही कूलो की कलकल ध्वनि से वहा का प्रदेश ध्वनित हो रहा था, सर्वत्र पथरीली और ककरीली भूमि थी, किन्तु आज वहा एक नगर वसने जा रहा है, नए-नए विशाल भवन और नई-नई सडके वन रही है, पजाब की सारी राजसत्ता वहा केन्द्रित हो रही है । जिस प्रदेश को कोई जानता ही नही था, भारत के कोने-कोने मे ग्राज उस की चर्चा हो रही है। इस के अलावा भाखड के बाघ को कौन नही जानता ? जब वह बाध बन कर तैयार हो जाएगा तो वहा एक छोटा सा समुद्र बन जाएगा । पीछे जापान मे एक भूचाल आया उससे वहा बडी उथल-पुथल हो गई । पजाब का सतलुज कभी लुधियाना से छू कर निकलता था, किन्तु आज वह उससे ९ मील दूरी पर है । इसी प्रकार अन्य भी अनेकविध परिवर्तन संसार मे होते रहते है । कुछ भी हो, किन्तु मूलरूप से यह जगत सदा अवस्थित रहता है । इस का मूलरूप कभी नष्ट नही होता । इसीलिए जैनदर्शन ने इस संसार को अनादि और अनन्त वतलाया है । ससार मे अनादि पदार्थ भी है-, प्रश्न हो सकता है कि ससार मे जितने भी पदार्थ दृष्टि गोचर हो रहे है, उन का कोई बनाने वाला अवश्य हे। किसी न किसी व्यक्ति ने उन का निर्माण अवश्य किया है ।, घडी को ही
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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