SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१०९) यह ससार पहले था, अब है और भविष्य मे रहेगा । इसको बनाने वाला कोई नही है । ससार को ईश्वर की रचना मानना सर्वथा असगत तथा सर्वथा युक्तिविकल है। किसी भी युक्ति से ईश्वर को ससार का निर्माता प्रमाणित नही किया जा सकता है। संसार को यदि ईश्वर की रचना मान लिया जाए तो प्रश्न उपस्थित होता है कि ईश्वर ने ससार को क्यो बनाया ? ससार-निर्माण के लिए ईश्वर मे लालसा क्यो उत्पन्न हुई ? ससार के बनाने में ईश्वर का कोई उद्देश्य तो होना ही चाहिए ? यदि कोई उद्देश्य है तो वह कौनसा है ? ___ यदि कहा जाए कि करुणा से प्रेरित होकर ईश्वर ने संसार को बनाया है। ससार-रचना के पीछे ईश्वर की दयालुता ही प्रधानतया कारण है, तो प्रश्न होता है कि करुणा का पात्र तो कोई दुखी व्यक्ति ही हुआ करता है। जब कोई व्यक्ति ही नही है तो करुणा किस पर की जायगी ? जगत के निर्माण से पहले जीवो के न शरीर थे, न इन्द्रिया थी, और न इन्द्रियों के विषय ही थे। ऐसी दशा मे किस दुख का प्रतिकार करने के लिए ईश्वर को जगत के निर्माण का कष्ट उठाना पड़ा? ससार मे जितनी प्रवृत्तिया देखी जाती है, उन के पीछे कोई न कोई उद्देश्य अवश्य हुआ करता है। निरुद्देश्य कोई प्रवृत्ति नही होने पाती । इसीलिए कहा है 'प्रयोजनमनुद्दिश्य न मन्दोऽपि प्रवर्तते' अर्थात्-मूर्ख से मूर्ख व्यक्ति भी यदि कोई प्रवृत्ति करता है तो उस के पीछे उस का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य रहा करता है । निरुद्देश्य वह कोई प्रवृत्ति नही कर पाता है।
SR No.010169
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Siddhant
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmuni
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy