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________________ सत्य के प्रभाव से मनुष्य sad To I ८६ धर्म और दर्शन (सत्य) २३ महासमुद्र मे भी सुरक्षित रहते है ६० जो मनुष्य असत्य का पोपण करते हैं, वे ससार-सागर को पार नही कर सकते । ६१ सत्य वचनो मे भी अनवद्य सत्य अर्थात् हिंसा-रहित सत्य वचन श्रेष्ठ है । २ साधक को ऐसा सत्य वचन बोलना चाहिए, जो हित, मित और ग्राह्य हो । ६३ सत्य यश का मूल है, सत्य विश्वास का परम कारण है, सत्य स्वर्ग का द्वार है और सत्य ही सिद्धि का सोपान है । ४ सत्य भी यदि सयम का विघातक हो तो, उसे बोल कर प्रकट नही करना चाहिए । ६५ मत्य- - चन्द्र मण्डल से भी अधिक सौम्य है और सूर्य मण्डल से भी अधिक तेजस्वी - प्रभास्वर है । ६६ ऐसा सत्य भी नही बोलना चाहिए, जिससे किसी प्रकार का पापागमअनर्थ होता हो ।
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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