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________________ ७६१ देव भी तीन बातो की अभिलाषा रखते हैं— मनुष्य जीवन, आर्य-क्षेत्र मे जन्म और श्रेष्ठकुल की प्राप्ति । ७६२ मनुष्य जन्म चार प्रकार के फल कुछ फल कच्चे होकर भी मधुर होते हैं । कुछ फल कच्चे होने पर भी पके की तरह अति मधुर होते हैं । कुछ फल पके होकर भी थोडे मधुर होते हैं और कुछ फल पके होने पर अतिमधुर होते हैं । फल के समान ही मनुष्य के भी चार प्रकार होते हैं— कुछ मनुष्य छोटी उम्र मे साधारण समझदार होते हैं, कुछ मनुष्य छोटी उम्र मे बडी उम्रवालो की तरह बुद्धिमान व दक्ष होते है । कुछ मनुष्य बडी उम्र मे भी कम समझदार होते हैं । कुछ मनुष्य वडी उम्र मे पूर्ण समझदार होते है । ७६३ इस संसार मे प्राणियो के लिए चार अग परम दुर्लभ कहे हैंमनुष्यत्व, श्रुति ( धर्म श्रवण ) श्रद्धा और सयम मे पुरुषार्थ । ७६४ ससार मे आत्माएँ क्रमश विकास को प्राप्त करते-करते मनुष्यभव को प्राप्त करती हैं | ७६५ मनुष्य जन्म मिलना अत्यन्त दुर्लभ है । ७६६ चार प्रकार के मानवीय कर्म से आत्मा मनुष्य जन्म प्राप्त करता हैसहज सरलता, सहज विनम्रता, दयालुता और अमत्सरता । ७६७ पूर्व सचित कर्मों के क्षय के लिए ही यह देह धारण करनी चाहिए ।
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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