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________________ जीवन और कला (ब्राह्मण कौन ?) १५६ ५६१ जो तपस्वी कृश और इन्द्रियो का दमन करनेवाला है, जिसके मांस और रूधिर का अपचय हो चुका है, जो व्रतशील व शान्त है, उसको हम ब्राह्मण कहते है। जो मनुष्य लोलुप नही है, जो निर्दोष भिक्षावृत्ति से निर्वाह करता है, जो गृह-त्यागी है, अकिंचन है, गृहस्थो मे अनासक्त है, उसे हम ब्राह्मण कहते है। जो अग्नि मे तपाकर शुद्ध किये हुए और घिसे हुए सोने की तरह विशुद्ध है तथा राग-द्वेप भय आदि दोपो से रहित है, उसे हम ब्राह्मण कहते है। ५६४ जो वस और स्थावर जीवो को सक्षेप और विस्तार से भली-भाँति जानकर मन, वाणी और शरीर से उसकी हिंसा नही करता उसे हम ब्राह्मण कहते हैं।
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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