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________________ प्रकाशकीय भगवान महावीर की २५ वी निर्वाण शताब्दी का प्रसग जैन समाज के लिए एक ऐतिहासिक प्रसग है । इस प्रसग पर भगवान महावीर एव जैन धर्म से सम्बन्धित अनेक महत्वपूर्ण समारोह, कार्यक्रम एव साहित्य-प्रकाशन की योजनाएँ मूर्त रूप ले रही है, यदि सम्पूर्ण जैन समाज तन-मन-धन से एकजुट होकर इस कार्य को आगे बढाये तो सचमुच ही विश्व का वातावरण बदल सकता है और अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियो से गौरव मे अभिवृद्धि हो सकती है। भगवान महावीर निर्वाण शताब्दी समारोह मनाने के लिए प्रान्तीय एव अखिलराष्ट्रीय स्तर पर अनेक समितियां कार्य कर रही है। दिल्ली कि अखिल भारतीय समिति ने पिछले दिनो एक कार्यक्रम प्रसारित किया था जिसमे आयोजन से सम्बन्धित अनेक योजनाएँ भी थी उनमे एक महत्वपूर्ण योजना थी भगवान महावीर व जैन आगमो की सूक्तियो का सकलन-प्रकाशन । ___ भगवान महावीर की सूक्तियो से सम्बन्धित गत कुछ वर्षों मे अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्य प्रकाशित हुए है । जव से सूक्तियो का प्रचार लोकप्रिय हुआ है, इस दिशा मे अनेक विद्वान मनीषियो ने कार्य किया है । महावीर-वाणी, महावीर वचनामृत, आर्हत प्रवचन के अतिरिक्त एक अत्यन्त महत्वपूर्ण व मौलिक-सकलन राष्ट्रसत उपाध्याय श्री अमर मुनि जी ने प्रस्तुत किया हैसूक्ति त्रिवेणी । यह सकलन अपने स्तर का एक विशिष्ट व वेजोड सकलन कहा जा सकता है। सूक्ति साहित्य की इसी सुमन-माला मे प्रस्तुत पुस्तक-'भगवान महावीर के हजार उपदेश' एक नवीनतम सुरभित सुमन गिना जा सकता है। कई दृष्टियों से इस सकलन की अपनी मौलिकता भी है। आगमो के अब तक अप्रयुक्त ऐसे अनेक महत्वपूर्ण सन्दर्भ व गाथाएं इस सग्रह मे मिलेंगी जो पहली वार सग्रहीत की गई हैं । सकलन का विपय वर्गीकरण भी नवीन दृष्टि से किया गया है और अनुवाद की भाषा भी वडी सरल और भावनाही है।
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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