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________________ संयम ४१८ सयम के चार प्रकार हैं-मन का सयम, वचन का सयम, काया का सयम और उपधि-सामग्री का सयम । ४१६ सभी साधुओ द्वारा मान्य, ऐसा जो सयमधर्म है वह पाप का नाश करनेवाला है। इसी सयम धर्म की उत्कृष्ट आराधना कर अनेक भव्यजीव ससार-सागर से पार हुए है और अनेको ने देवयोनि प्राप्त की है। ४२० जिस प्रकार वस्त्र के थैले को हवा से भरना कठिन है उसी प्रकार कायर-पुरुष के लिये श्रमणधर्म का पालन करना भी कठिन है। ससारी मनुष्य विषय के प्रवाह मे बहनेवाले तथा उसी मे सुख माननेवाले होते हैं, जब कि सत-पुरुषो का लक्ष्य प्रतिस्रोत होता है। अनुस्रोत ससार है और प्रतिस्रोत बाहर निकलने का उपाय-द्वार है। ४२२ सयम बालू-रेती के कोर की तरह नीरस है । ४२३ जिस प्रकार भुजाओ से तैर कर समुद्र को पार करना अति कठिन है, उसी प्रकार अनुपशान्त-आत्मा द्वारा सयमरूपी समुद्र को पार करना अति कठिन है। ११६
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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