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________________ सो उपदेश वचनो का एक सकलन तैयार किया जाय, इस दिशा मे चिन्तन भी किया, किन्तु लगा २५०० उपदेशो का संग्रह विशालकाय ग्रन्थ का रूप ले लेगा जो जन साधारण के लिए कम उपयोगी रहेगा, दूसरी वात उपदेश वचनो को तोड-तोड कर छोटा करना होगा अथवा कुछ गम्भीर व जटिल विपयो को भी माथ मे समाविष्ट करना होगा जिससे ग्रन्थ की गुरुता, गरिष्ठता बढ जायेगी वीर जनोपयोगिता कुछ कम हो जायगी । इस विचार से पच्चीससौ उपदेशो के स्थान पर एक हजार उपदेशो का सकलन प्रस्तुत करने का विचार स्थिर किया, यदि ममय व साधनो की सुविधा रही तो इस चरण को और भी आगे वढाने का प्रयत्न किया जायेगा। ___ इन उपदेश वचनो को तीन खण्डो में विभक्त किया है। प्रथम खण्ड मे धर्म और दर्शन से सम्बन्धित १८ विषय है, जिनमे ३८२ सूक्तियाँ है । दूसरे खण्ड मे जीवन और कला शीर्पक ने २३ विषय लिये गये हैं जिनमे ३५३ उपदेश वचन सग्रहीत किये हैं । तृतीय खण्ड मे शिक्षा और व्यवहार शीर्पक के अन्तर्गत १५ विषय हैं जिनमे २६६ उपदेश सूक्त हैं । यो कुल ५६ विषयो मे एक हजार एक उपदेश वचनो का मकलन किया गया है। इस सकलन मे मूल आगमो को ही मुख्य आधार माना गया है, चूंकि वर्तमान मान्यता के अनुसार मूल आगमो मे महावीर की वाणी आज भी सुरक्षित है। सूक्तियो का चयन करते समय प्राय मूल आगम देखे हैं और अनुवाद करते समय पूर्वापर भावो का सम्बन्ध भी ध्यान में रखा गया है। आशा है पाठको को इस सकलन मे प्रामाणिक रूप से भगवान महावीर के उपदेशो से माक्षात्कार करने का अवसर मिलेगा। मेरे आध्यात्मिक एव साहित्यिक जीवन के प्रेरणा-स्तम्भ राजस्थानकेसरी गुरुदेव श्री पुष्कर मुनिजी म० सा० का पुनीत स्मरण इम प्रसंग पर स्वय हो आता है । मेरा जो कुछ कृतित्व है वह उन्ही के आशीर्वाद का फल है। गुरु भ्राता आदरणीय श्री हीरामुनि जी 'हिमकर' एव ममर्थ माहित्यकार श्री देवेन्द्र मुनि जी का न्नेह, प्रेरणा एव मार्गदर्शन मुझे निरन्तर मागे वढाते रहे हैं। मेरे निष्टतम मह्योगी श्री जिनेन्द्र मुनि शास्त्री, काव्यतीर्थ का जो
SR No.010166
Book TitleBhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni
PublisherAmar Jain Sahitya Sansthan
Publication Year1973
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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