SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -और म० बुद्ध ] इनके अतिरिक्त और भी छोटे मोटे राज्य थे जिनका विशेष - परिचय यहांपर कराना दुष्कर है। इतना स्पष्ट है कि उस समय जो प्रख्यात राज्य थे फिर चाहे वह गण राज्य थे अथवा स्वाधीन साम्राज्य; उनकी संख्या कुल सोलह थी। मि० हीस डेविड्स उनकी गणना इस प्रकार करते हैं:--- (१) अङ्ग-राजधानी चम्पा; (२) मगध-राजधानी राजगृह; (३) काशी-रा० धा० वनारस; (४) कौशल (आधुनिक नेपाल)रा० धा० श्रावस्ती; (५) वज्जियन-रा० धा० वैशाली; (६) मल्ल रा० धा० पावा और कुसीनारा; (७) चेतीयगण-उत्तरीय पर्वतोंमें __ अवस्थित था; (८) वन्स या वत्स-रा० धा० कौशाम्बी; (९) कुरु-राजधानी इंद्रप्रस्थ (दिल्ली)। इसके पूर्वमें पाञ्चाल और दक्षिणमें मत्स्य था । रत्थपाल कुरुवंशीय सरदार थे, (१०) पाञ्चाल, यह कुरुके पूर्व में पर्वतों और गगाके मध्य अवस्थित था और दो विभागोमें विभाजित था, राधा० कंपिल्ल और कन्नौन थी, (११) मत्स्य-कुरुके दक्षिणमे और जमनाके पश्चिममें था; (१२)सूरसेनजमनाके पश्चिममें और मत्स्यके दक्षिण-पश्चिममें था;-राधा मथुरा (१३) अस्सक-अवन्तीके उत्तर-पश्चिममें गोदावरीके निकट अवस्थित था-रा० धा० पोतन या पोतलि, (१४) अवन्ती-रा०या० उज्जयनी; ईशाकी दूसरीशताब्दि तक यह अवन्ती कहलाई, परन्तु ७वीं या (वीं शताब्दिके उपरांत यह मालव कहलाने लगी; (१५) गान्धार-आजकलका कन्धार है-राधा० तक्षशिला, राजा पुक्कु साति और (१६) कम्बोज-उत्तर-पश्चिमके ठेठ छोरपर थी, राजधानी द्वारिका थी। १ बुद्धिस्ट इढिया पृष्ट २३ ।
SR No.010165
Book TitleBhagavana Mahavira aur Mahatma Buddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages287
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy