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________________ [ ७२ (सालिय) कहकर भी लोगों ने उनका उल्लेख किग, गनि उनकी माता विशाला (वैताली) की राजकुमारी थीं-उना उज विशाल था और वचन भी विशाल था । देवों ने उनकी निर्भीकता और साहस को तय करले 'अतिवीर उनका नान रस्ता था। चारण मुनियों ने उनके वाल्यरूप को संशयहर जानकर 'सन्मति कहकर सन्वोधा था । ___ जब महावीर गह त्याग कर वनवासी योगी हुये और योगनिष्ठामें लीन रहकर ज्ञान-ध्यान और तपस्याका श्रम वहन करन तने नत्र वह 'श्रमण महावीर' कहलाये ३। अचेलकत नी कठिन परीपह उन्होंने सह्न की थी जन्नत्व निस्सन्देह पुरुष नाम विजेता होने का प्रमाण है । बौद्धों ने योगी महावीर का उल्लेख निगंठ नात्युत्त' (निन्थ नातपत्र ) नाम से जिया है । वह ज्ञातवंशके रानर्पि थे ! 'निम्रन्थ वह इसलिये कह ताते थे, क्योंकि वह बन्धन-नुच थे-बाह्याभ्यन्तर परित्रह की गांठों में बंधे हुये नहीं थे। 5. 'विगला जननीपत्य, विशाल कुजनेव च । विशालं वचनं वास्प तेन वैशालिछो जिनः ।' सुत्र कृतांटीवा १३ २. मः० पठ ३. (He is called) Samana because he sustains dreadful dangers and fears, the noble nake Gress and the miseries of the world.jain Sutras (S B.E.) P.. I P. 193. ४. 'तेनन्गेपन मनन निगंठो मारपुत्तोपावापन् प्रधना कालन्तीहोति -दीवनिकाय (P. T.S.. III. 117-118). ५. मह०. मा० - नंद : पृ.५३
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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