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________________ दो शब्द जैन धर्म के इस युग के अन्तिम तीर्थंकर श्री भगवान् महावीर स्वामी हैं। आज की साधारण अजैन जनता जैन वर्म के अन्य तीर्थंकरों के विपय में तो बिल्कुल अनभिज ही है और वह तो भगवान महावीर को ही जैन धर्म का प्रवर्तक समझती है। भगवान महावीर की जयंती चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को भारत के कोने कोने में मनाई जाती है। परन्तु भी तक भगवान महावीर के किसी प्रामाणिक विस्तृत जीवन चरित्र का प्रभाव महावीर जयन्ती के अवसर पर बहुत अखरता था। उसी अभाव की पूर्तिरूप यह पुस्तक आपके समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे बहुत ही हर्प होता है। श्रीयुत कामताप्रसाद DL ,M.R A S. आन के एक महान् ऐतिहासिक लेखक हैं। आपकी ऐतिहासिक ग्बोज लेखन शैली, अद्वितीय है। आपने अबतक सैंकड़ों पुस्तकें जैनधर्म की प्राचीनता तथा जैन ऐतिहासिक महा पुरुषों के विपय मे लिखी है । यह हमारा सौभाग्य था कि आपने हमारी प्रार्थना स्वीकार कर इस पुस्तक को लिखने का भार सहर्प ग्रहण कर लिया। इसके लिये मैं तथा परिपद् जिसके आप स्तम्भ हैं, अत्यन्त आभारी हैं। पुस्तक प्रकाशन में सुन्दर तथा टिकाऊ कागज व नये टाइप का पूर्णरूप से विचार रक्खा गया है। प्रफ देखने में भी समुचित परिश्रम किया गया है परन्तु जिस प्रकार मनुष्य से भल होना स्वाभाविक है उसी प्रकार पुस्तक में भी कुछ न कुछ अशुद्धि रहना असंभव नहीं है। विन पाठकों से निवेदन है कि उन अशुद्धियों की ओर विचार न करें। आशा है कि जैन तथा जैनेतर जनता इस प्रकाशन को अपनाकर हमारे प्रयत्न को सफल वनाएगी। रघुवीरसिंह जैन आनरेरी मन्त्री
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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