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________________ ( २ ) णिक के प्रारम्भिक जीवन मे भ० महावीर का उल्लेख नहीं मिलता। चेलनी के साथ उनका विवाह हो जाता है और वह चेलनी के सदद्योग से यशोधर मुनिराट के सम्पर्क मे आकर जैनधर्म के प्रेमी बनते हैं। इस घटना के उपरान्त वह भ० महावीर के समवशरण में पहुंचते हैं। इस समय उनकी आयु अधिक होना चाहिये, परन्तु भ० विजयकीर्ति द्वारा रचित 'श्रेणिक चरित्र वचनिका' मे भ० महावीर के केवलज्ञान प्राप्ति के समय श्रेणिक की आय मात्र २६ वर्ष की लिखी है। उसमें यह भी लिखा है कि श्रेणिक को देश निकाला १२ वर्षे की अवस्था मे हुआ था । इस छोटी उम्र में ऐसा कठोर दंड दिया जाना उचित नहीं जचता । यह दंड राज्याधिकार के हेतु दिया गया था। प्राचीनकाल में रा-याभिषेक २७-२८ वर्ष से पहले नहीं होता था। अत. यह सभव है कि यह उल्लेख श्रेणिक के राज्यकाल का हो, क्योंकि 'राज' का वर्णन करते हुए यह लिखा गया है। अब यदि श्रेणिक की सिंहासनारोहण तिथि ई० पू० ५८२ मानी जावेर तो ई० पू० ५५६ में भ० महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ सिद्ध होता है और तीसवर्ष विहार एवं धर्मोपदेश काल के घटाने पर ई० पू०५२६ मे उनका निर्वाण प्रगट होता है। आजकल जैनियों में इस गणना १. यह अन्य रोहतक के शास्त्र भंडार में विराजमान है और सं० १८२७ का रचा हुधा है। उसमें लिखा है: “श्रेणिक नीति संभाल कर करे राज अविकार । बारह वर्ष न बौद्धमत, रहो फर्म घश धार ॥१२॥ यारह वर्ष तने चित घरो, नदग्राम यह मारग करो ॥ श्रेणिक वर्ष छचीस मंझार, महावीर केवल पद धार ।५६॥१२॥ २. संजइ० २१ पृ० १८
SR No.010164
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Parishad Publishing House Delhi
PublisherJain Parishad Publishing House Delhi
Publication Year1951
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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