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________________ [३३] पारापत फल का गुण भी दाह नाशक, ज्वर नाशक व शीतल बताया है। ___ चौरसिय भाजी दाह नाशक, घरहरी, शीतल व मल शोधक है। ___ खटारा--भाजीनां शाक दही "नाखीने खाटां करवानो रिवार जापी तो छ । एटले वटाशनी जग्याए दही लइए तो भाड़ाना रोगमा प्रत्यंत फायदा कारक छ । प्रावो रोते पा चोजो प्रभु महावीर स्वामी ना रोगनी दृष्टिए उपयोगी छ। __-(महो० काशीविश्वनाथ प्रहलाद जो व्याम, साहित्याचार्य, काव्य साहित्य विशारद, मीमामा-भास्त्री, एल०ए०एम. लिखित शास्त्रीय खुलासो, जैनधर्म प्रकाश पु० ५४ प० १२ पृ० ४२७) (२) बिजोग-- स्वास काला चिहरं सम्मान सोचनम् ॥१४॥ नवम्तं गोपनं हवं मातुनमानुपातम् ॥ वा तिता दुर्गरा तस्य, बात निकलापहा ॥१ven स्वातु नीतं गुरु स्निग्ध, मांस : तपित्तावत् ।। मेयं भूनानिलवि- रोचना ॥१०॥ रोक्नं मा संपाहि, गुल्मानानं तु सरम् ॥ भूमानिनविय malfare ॥१५१५ मन्त्री पवित्र मानेऽनो कमाते । विजोरा-गष्णा शामक, कण्ठ शोधक, तथा दीपक है।
SR No.010163
Book TitleBhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherBhikhabhai Kothari
Publication Year1957
Total Pages49
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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