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________________ महावीर : बापू के मूल प्रेरणा-स्रोत का गुरण है और वह मनुष्य जाति में दृश्य अथवा अदृश्य रूप से मौजूद है | घर्म से हम मनुष्य जीवन में कर्त्तव्य समझ सकते हैं । धर्म द्वारा दूसरे जीवों के साथ अपना सच्चा सम्बन्ध पहिचान सकते हैं । यह धर्म ही स्व-पर के भेद का विभेदक है । जैन धर्म मे इसे ही भेद विज्ञान कहा है जो मुक्ति प्राप्ति का मूल कारण है ? ५५ बापू 'के सत्तावीस प्रश्न : बापू श्रात्मार्थी, गुणग्राही श्रीर जिज्ञासु थे । जीवन्मुक्त दशा प्राप्त करने के इच्छुक थे । दक्षिण अफ्रीका में पहुंचने पर उनकी यह इच्छा श्रोर बलवती हुई । रायचन्द भाई पर उनको सर्वाधिक श्रद्धा और विश्वास था । फलतः बापू ने उनसे २७ प्रश्न पूछ करें अपनी जिज्ञासा व्यक्त की । उनके ही शब्दों में ये प्रश्न इस प्रकार हैं } (१) ग्रात्मा क्या है ? (२) ईश्वर क्या है ? (३) मोक्ष क्या है ? क्या वह कुछ करती है और उसे कर्म दुःख देता है या नहीं ? ईश्वर जगत् का कर्ता है, क्या यह सच है ? (४) मोक्ष मिलेगा या नहीं ? उसे इसी देह में निश्चित रूप से जाना जा ! सकता है } या नहीं । ( ५ ) ऐसा पढ़ने में श्राया है कि मनुष्य देह छोड़ने के बाद कर्स के अनुसार जानवरों में जन्म लेता है । वह पत्थर और वृक्ष भी हो सकता है, क्या यह ठीक है ? (६) कर्म क्या है ? (७) पत्थर अथवा पृथ्वी किसी कर्म का कर्ता है क्या ? (5) आर्य धर्म क्या है ? क्या सभी की उत्पत्ति वेद से हुई है ? (e) वेद किसने बनाये ? क्या वे अनादि हैं ? यदि वेद अनादि हैं तो अनादि का क्या अर्थ ? (१०) गीता किसने बनाई ? वह ईश्वर कृत तो नहीं है ? यदि ईश्वरकृत हो तो क्या उसका कोई प्रमाण है ? 1. (११) पशु आदि का यज्ञ करने से क्या थोड़ा सा भी पुण्य होता है ? (१२) जिस धर्म को श्राप उत्तम कहते हो, क्या उसका कोई प्रमाण दिया जा सकता है ? (१३) क्या आप ईसाई धर्म के विषय में जानते हैं कुछ ? यदि जानते हैं तो क्या श्रपने विचार प्रकट करेंगे ? (१४) ईसाई लोग यह कहते हैं कि बाइबिल ईश्वर प्रेरित है । ईसा ईश्वर का अवतार है। वह उसका पुत्र है और था । क्या यह सही है ? (१५) पुराने करार में ( प्रोल्ड टेस्टामेन्ट में ) जो भविष्य कहा गया है, क्या वह सब ईसा के विषय में ठीक-ठीक उतरा है ? 1 ---रायचन्द भाई के प्राध्यात्मिक पत्र ।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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