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________________ ४८ युवा पीढ़ी महावीर से क्या प्रेरणा ले? .. श्री चंदनमल 'चांद' vvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvvv __ महावीर! चार अक्षर-एक शब्द । लाखों व्यक्तियों का नाम महावीर हो सकता है-हर गांव में दो चार महावीर मिल सकते हैं, किन्तु चार अक्षरों वाले इस 'महावीर' नाम के साथ अढाई हजार वर्षों पूर्व का वह चित्र उभरता है जिसमें राज-पाट, सुख-ऐश्वर्य, भोग-विलास को त्याग कर तीस वर्ष का राजकुमार मुनि वनता है। महावीर के नाम से ही उनके जीवन की वे सारी स्थितियां, घटनाएं एवं प्रेरक प्रसंग चलचित्र की तरह नयनों के सामने उतरने लगते हैं। जिनमें उनकी वीरता, क्षमा, धैर्य, दृढ़ मनोवल, त्याग एवं केवल्य आदि के अनेकानेक प्रसंग भरे पड़े हैं। महावीर ! राजमहल के सुख-वैभव छोड़कर वनों में मौन, ध्यान, आसन करने वाले महावीर अपने युग के प्रखरतम क्रान्तिकारी थे। उन्होंने आचार एवं विचार दोनों ही पक्षों में महान क्रान्ति स्वयं के जीवन प्रयोगों द्वारा प्रारम्भ की। युवापीढ़ी के लिए प्रादर्श : वर्तमान युग की युवा पीढ़ी के लिए महावीर आदर्श हैं । अढाई हजार वर्षों के बाद भी महावीर ने अपने जीवन एवं दर्शन के द्वारा जो मार्ग प्रशस्त किया वह आज उस युग से भी सम्भवतः ज्यादा उपयोगी एवं आवश्यक है । महावीर के जीवन एवं दर्शन का यदि आधुनिक युवापीढ़ी सम्यक् अध्ययन कर उसे आचरण में उतारे तो ध्वंस की अपेक्षा निर्माण के मार्ग पर लग सकती है । युवापीढ़ी समाज, राष्ट्र और विश्व की रीढ़ होती है जिसके सवल कंधों पर पुरानी पीढ़ी देश का दायित्व सौंपकर अपने अनुभवों से मार्ग-दर्शन करती है। युवा पीढ़ी समाज और राष्ट्र की आशा है-विश्वास है। वर्तमान युग के संदर्भ में युवा पीढ़ी का अध्ययन करें तो हमें स्पष्ट पता चलता है कि हमारा युवा वर्ग पुरानी पीढ़ी की अपेक्षा अधिक बुद्धिमान है। उसमें वौद्धिक विकास के साथ-साथ तर्क, विज्ञान एवं अन्य योग्यताएं भी पुरानी पीढ़ी से अधिक हैं । युवावर्ग के मन में कुछ करने की तड़फ है, उत्साह है और उसके लिए पूर्ण निष्ठा एवं लगन भी है । हां, उसकी इन भावनाओं को जब सही परिप्रेक्ष्य में न समझ कर उनके साथ असहयोग एवं अनुदार व्यवहार किया जाता है तो युवावर्ग को शक्ति का विध्वंसक विस्फोट, तोड़-फोड़, हड़ताल आदि के रूप में दीखता है। महावीर स्वयं युवा थे । जब उन्होंने गृहत्याग कर संन्यास ले लिया। महावीर का संन्यास जीवन से पलायन नहीं था क्योंकि उनका जीवन सुखी, समृद्ध एवं वैभवपूर्ण था ।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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