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________________ सामाजिक संदर्भ इस प्रकार आपने देखा कि आदमी को समता, समानता, विश्वबंधुत्व और स्वतंत्रता की सारी कल्पनाएं और विचारधाराएं पंगु हैं जब तक कि इनके साथ केवल मानव नहीं, समस्त जीव-जंगम के प्रति आदर का भाव पैदा नहीं होता । और यहीं पर महावीर के विचारों का जवरदस्त महत्त्व है । केवल अनेकान्त ही, हमारी असहिष्णुता की, पूर्वाग्रहों की और मनमानी की विचारधारात्रों को नया रूप दे सकता है । स्याद्वाद का व्यापक प्रसार और बालकों को शैशवावस्था से ही स्याद्वाद का शिक्षरण हमें केवल अपने प्रति ही नहीं, समस्त मानव जाति एवं अन्य जीवों के प्रति चादर और अनुराग उत्पन्न करवाने में सफल हो सकता है । ६४ इसीलिये, महावीर का महत्त्व, ग्राज के युग में, केवल ऐतिहासिक नहीं, अत्यन्त सामयिक है | विज्ञान के प्रारम्भिक विकास के दिनों में, मानवीय अहंकार ने, अध्यात्मक दर्शनों को उपेक्षा से देखना सिखला दिया था। लेकिन जव यह देखा गया कि विज्ञान का चरम उत्कर्ष, नाजी जर्मनी के राक्षस को जन्म दे सकता है, भौतिक समृद्धि के स्वर्ग अमरीका का उपसंहार वियतनाम की वर्वरता से शुरू हो जाता है और सारे विकसित देशों का विज्ञान, जगर के प्रदूपरण और वातावरण को विपाक्त होने को रोकने में असमर्थ हो रहा है, तो हमें आधुनिक इन्सान को बचाने, उसका त्रारण करने के लिए, महावीर के स्याद्वाद को ही व्यवहार में लाना होगा ।
SR No.010162
Book TitleBhagavana Mahavir Adhunik Sandarbh me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Bhanavat
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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